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रिश्वत मामले में एफसीआइ के एजीएम सहित दो गिरफ्तार

राज्य ब्यूरो, रांची : रिश्वत के एक मामले में सीबीआइ दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक टीम ने रांची से

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 09:28 AM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 09:28 AM (IST)
रिश्वत मामले में एफसीआइ के एजीएम सहित दो गिरफ्तार
रिश्वत मामले में एफसीआइ के एजीएम सहित दो गिरफ्तार

राज्य ब्यूरो, रांची : रिश्वत के एक मामले में सीबीआइ दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक टीम ने रांची से फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) के एजीएम ए. सिकंदर व एक कारोबारी रंजय चितलांगिया उर्फ बंटी को गिरफ्तार किया है। सीबीआइ की टीम ने दोनों ही आरोपितों को शनिवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में प्रस्तुत किया और 20 अगस्त तक के ट्रांजिट रिमांड पर लेकर दिल्ली चली गई।

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सीबीआइ की दिल्ली टीम ने 16 अगस्त को ही इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। दर्ज प्राथमिकी में एफसीआइ रांची के एजीएम ए. सिकंदर, व्यवसायी दीपेश चांडक, दीपेश चांडक का रांची में कारोबार देखने वाले रंजय चितलांगिया उर्फ बंटी, मेसर्स बीना टेक्सटाइल्स लिमिटेड व अन्य अज्ञात लोक सेवक तथा निजी कर्मी आरोपित किए गए थे। इसी प्राथमिकी के आधार पर सीबीआइ दिल्ली की टीम ने रांची में छापेमारी कर दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया और अपने साथ ले दिल्ली ले गई।

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इन पर दर्ज है प्राथमिकी

- ए. सिकंदर : एजीएम, फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया। वर्तमान में रांची जिले के एरिया मैनेजर। आवास नंबर 4ए, संस्कृति अपार्टमेंट, रहमत कॉलोनी के समीप, मेन रोड डोरंडा।

- दीपेश चांडक : मेसर्स बीना टेक्सटाइल्स लिमिटेड व कई अन्य कंपनियों के प्रबंधक। सुवन अपार्टमेंट, 9 अर्ली स्ट्रीट, कोलकाता।

- रंजय चितलांगिया उर्फ बंटी : दीपेश चांडक के रांची के व्यवसाय का देखरेख करने वाला। फ्लैट नंबर 404, ब्लॉक ए, ग्रीन पार्क अपार्टमेंट, बरियातू रोड, रांची।

- बीना टेक्सटाइल्स लिमिटेड।

- अन्य अज्ञात अधिकारी व कर्मी।

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क्या है पूरा मामला

- सीबीआइ की दिल्ली स्थित भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में दर्ज प्राथमिकी में के अनुसार व्यवसायी दीपेश चांडक का रांची में वेयर हाउस है। जिसे उन्होंने एफसीआइ को लीज पर दिया है। लीज समाप्त होने को है। दीपेश के कहने पर उनके कर्मचारी रंजय चितलांगिया ने लीज बढ़ाने के लिए एफसीआइ रांची के एजीएम ए. सिकंदर से संपर्क किया। ए. सिकंदर ने रंजय चितलांगिया को बताया कि लीज अवधि व किराया के मसले पर रिश्वत के बाद ही विचार होगा। इसके लिए एफसीआइ अधिकारियों की एक टीम बनाई गई, जिसे सर्वे रिपोर्ट तैयार करना था। बिना फिल्ड सर्वे के ही रंजय चितलांगिया के फर्जी कागजात के आधार पर सर्वे टीम ने वेयर हाउस के लिए अपनी रिपोर्ट दे दी।

इस रिपोर्ट के बाद वेयर हाउस के मालिक दीपेश चांडक को 12 जुलाई 2018 को रांची बुलाया गया। यहां एफसीआइ के जीएम अमित भूषण व अन्य अधिकारियों के साथ उनकी बैठक हुई। बैठक में ही लीज बढ़ाने व किराया के मसले पर निर्णय हो गया जो रिश्वत देने के बाद होना था।

तय कार्यक्रम के अनुसार दीपेश चांडक के कहने पर रंजय चितलांगिया ने 30 जुलाई 2018 को दो लाख रुपये रिश्वत के एक पार्ट के रूप में एजीएम ए. सिकंदर को दिये। इसके बाद लीज फाइनल हो गई। रिश्वत की दूसरी खेप 17 अगस्त को देने पर सहमति भी बन गई। सीबीआइ सूत्रों की मानें तो रिश्वत की दूसरी खेप के रूप में रंजय चितलांगिया ने पांच लाख रुपये एजीएम ए. सिकंदर को दिया, जिसके तुरंत बाद सीबीआइ ने दोनों को गिरफ्तार किया।

चारा घोटाले का अभियुक्त है दीपेश चांडक, अभी है जमानत पर

कोलकाता के जिस दीपेश चांडक पर सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की है, वह झारखंड के बहुचर्चित चारा घोटाले का अभियुक्त रहा है। इस मामले में वह अभी जमानत पर है। चांडक करोड़ों के चारा घोटाले में सप्लायर था। फिलहाल, इस दूसरे मामले में चांडक की गिरफ्तारी अभी नहीं हो सकी है।


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