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झारखंड में सहायकों की घोर कमी, सचिवालय में काम की रफ्तार थमी, कई विभागों में महीनों लंबित रहती हैं फाइलें

सरकारी कार्यप्रणाली सहायकों की कमी के कारण बेहद सुस्त हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 12:28 PM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 12:28 PM (IST)
झारखंड में सहायकों की घोर कमी, सचिवालय में काम की रफ्तार थमी, कई विभागों में महीनों लंबित रहती हैं फाइलें
झारखंड में सहायकों की घोर कमी, सचिवालय में काम की रफ्तार थमी, कई विभागों में महीनों लंबित रहती हैं फाइलें

आशीष झा, रांची। सरकारी कार्यप्रणाली में कोई भी काम शुरू होता है सहायकों के स्तर से और यहीं से मामला पहुंचता है ऊपरी स्तरों पर। अधिकारियों से होते हुए मंत्री-मुख्यमंत्री तक फाइलें पहुंचती हैं। लेकिन, वर्तमान में काम की रफ्तार धीमी है और इसका मुख्य कारण है सहायकों की कमी। धीमी रफ्तार को लेकर सभी विभागों में लगातार दबाव बना हुआ लेकिन सहायकों के नियोजन को लेकर कार्रवाई रुकी हुई है।

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झारखंड में 2010 में तैयार झारखंड सचिवालय सेवा नियमावली के अनुसार सहायक कोटि में कुल 2341 सीटें निर्धारित हैं। सीनियर पदों पर लोग तो मौजूद हैं लेकिन शुरुआती सीटें खाली हैं। कुल प्रशाखा पदाधिकारी के लिए निर्धारित 1313 सीटों के एवज में लगभग 726 कार्यबल तैनात है।

इसी प्रकार प्रशाखा पदाधिकारी कोटि में 657 पदों के विपरीत लगभग 142 कर्मी हैं। इस तरह 515 सीटें इस श्रेणी में भी खाली हैं। महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि वरीय पदों पर प्रमोशन से लोग नियोजित होंगे तो एक बार फिर सहायक संवर्ग में लोग कम हो जाएंगे। दूसरी ओर, 2010 के हिसाब से जितने कर्मियों की जरूरत थी वह बढ़े हुए काम के हिसाब से अब बढ़नी चाहिए लेकिन ऐसा संभव नहीं दिख रहा। सचिवालय कर्मियों पर हाल के वर्षो में जनसंवाद, सूचना का अधिकार आदि तमाम ऐसे काम हैं जो पूर्व में निर्धारित नहीं होते थे। काम बढ़ा लेकिन लोग नहीं।

18 वर्षो में मात्र दो परीक्षाएं :

सचिवालय सहायकों की नियुक्ति के लिए अलग राज्य बनने के बाद महज दो परीक्षाएं हुई हैं। वर्ष 2013 में 500 सहायक नियोजित हुए थे तो वर्ष 2016 में 100 सहायक नियुक्त हुए। विभाग ने इसी दौरान निर्णय लिया था कि सौ-सौ की संख्या में हर वर्ष सहायक नियोजित किए जाएंगे और इससे अच्छे कर्मी भी मिलेंगे लेकिन अब नियोजन की शर्तो के खिलाफ एक गुट कोर्ट चला गया जिससे मामला कोर्ट में लटका हुआ है। पूरी प्रक्रिया ठप पड़ गई है।

सचिवालय सेवा के पदाधिकारियों की स्थिति :

पदनाम स्वीकृत पद कार्यरत रिक्त पद

सहायक प्र.पदा. 1313 725 588

प्रशाखा पदाधिकारी 657 142 515

कोटि 1 (अवर सचिव) 328 250 78

प्रवर कोटि (उप सचिव) : 55 11 44

वरीय प्रवर कोटि (संयुक्त सचिव) : 23 21 02

सीमित परीक्षा भी नहीं हो रही आयोजित

सचिवालय सहायकों की प्रोन्नति के लिए सीमित परीक्षा नियोजित करने का प्रावधान है। सचिवालय सेवा नियमावली 2010 के अनुसार प्रशाखा पदाधिकारी के 50 फीसद पद प्रोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है लेकिन परीक्षा नहीं हो रही है। अपुष्ट सूचना के अनुसार प्रशाखा पदाधिकारी के 657 पदों में से लगभग 550 पद रिक्त हैं। सचिवालय कर्मियों ने मुख्यमंत्री से मिलकर मांग भी रखी थी कि सीमित परीक्षा का आयोजन किया जाए।

जिनकी सेवा पांच वर्ष से अधिक हो गई है उन्हें एक बार भी परीक्षा देने का मौका नहीं मिला है। अलग राज्य बनने के बाद अब तक तीन बार परीक्षा हो जानी चाहिए थी।


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