रांची-टाटा एनएच : नहीं दिख रहे सुधरने के हालात, एक बार फिर एनएच के लिए चैंबर देगा धरना
रांची-जमशेदपुर नेशनल हाइवे 33 की खस्ताहाल स्थिति को लेकर सरकार, हाई कोर्ट से लेकर सामाजिक संगठनों ने भी प्रयास तेज कर दिए हैं।
जासं, रांची-जमशेदपुर। रांची जमशेदपुर नेशनल हाइवे 33 की खस्ताहाल स्थिति को लेकर सरकार, हाई कोर्ट से लेकर कई संगठनों ने तेवर कड़े कर दिए हैं। हाई कोर्ट ने जहां पूरे मामले की सीबीआइ जांच को लेकर सरकार को निर्देश दिए हैं। वहीं जमशेदपुर में अब सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री एक बार फिर टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के लिए धरना देगा। सड़क मरम्मत के लिए सात अगस्त को पारडीह काली मंदिर के पास सुबह 10.30 से शाम 3.30 बजे तक शहर समेत कोल्हान के व्यवसायी-उद्यमी धरना पर बैठेंगे। ज्ञात हो कि अक्टूबर 2013 में भी सिंहभूम चैंबर के सदस्य इसी सड़क के लिए पारडीह काली मंदिर पर धरना दे चुके हैं।
ये बातें सिंहभूम चैंबर के अध्यक्ष अशोक भालोटिया ने शुक्रवार को चैंबर भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहीं। भालोटिया ने कहा कि झारखंड बनने के पहले से इस सड़क की यही स्थिति है। कोई कारोबारी जमशेदपुर आना नहीं चाहता। एयरपोर्ट तो बनने से रहा, कम से कम यह सड़क भी बन जाती तो हमें एयरपोर्ट की जरूरत महसूस नहीं होगी। पिछले पांच साल में इस सड़क पर 600 मौतें हो चुकी है। अब सीबीआइ जांच हो रही है। हम चाहते हैं कि जांच-पड़ताल से सड़क का निर्माण अधूरा न रहे। जितनी जल्दी हो सके, इसे चलने लायक बना दिया जाए।
सिंहभूम चैंबर के पूर्व अध्यक्ष सुरेश सोंथालिया ने कहा कि आदित्यपुर की कंपनी सीटीसी इंडिया लिमिटेड के निदेशक रमेश अग्रवाल ने कहा कि इसी सड़क की वजह से जापान से कंपनी के निदेशक ने जमशेदपुर आने से मना कर दिया है। रांची से वह यहां आना नहीं चाहते और कोलकाता से आने पर काफी समय लगता है। इसका असर उत्पादन पर भी पड़ रहा है। कुल मिलाकर इसकी वजह से यहां का उद्योग-व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।