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क्लासिकल डांस की तरफ बढ़ रहा युवाओं का रुझान

रांची के युवाओं को अब वेस्टर्न डांस की अपेक्षा क्लासिकल डांस अधिक पसंद आ रहा है। शहर की डांस एकेडमियों में क्लासिकल डांस सीखने वालों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है।

By Edited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 07:35 AM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 02:25 PM (IST)
क्लासिकल डांस की तरफ बढ़ रहा युवाओं का रुझान
क्लासिकल डांस की तरफ बढ़ रहा युवाओं का रुझान

रांची। कुछ समय पहले तक भले ही युवाओं को वेस्टर्न डांस पसंद रहा हो, लेकिन अब फिर से क्लासिकल डांस पहली पसंद बन रहा है। ज्यादातर युवा और बच्चे क्लासिकल डास सीखने आते हैं। यह कहना है डास क्लासेज में डास का प्रशिक्षण देने वाली कोरियोग्राफर नंदिता का।

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शहर के युवाओं और बच्चों में डांस सीखने का जुनून है। शाम होते ही डास क्लासेस बच्चे पहुंचकर नृत्य कला प्रशिक्षण ले रहे हैं। अधिकाश बच्चे तो क्लासिकल सीखने में लगे हैं। सेमी क्लासिकल जैसी विधा की ओर भी बच्चों और युवाओं का रुझान है। मन की भावनाओं को डास के द्वारा व्यक्त किया जाता है वैसे तो डांस सभी को बहुत अच्छा लगता है, लेकिन यह एक ऐसी कला है जो देखने में सरल लगती है लेकिन असल में बहुत कठिन होती है। जिसमें अपने मनोभावों को अभिव्यक्त किया जाता है।

डांस मतलब केवल हाथ-पांव चलाना या हाथ-पांव इधर-उधर घुमाना ही नहीं है, बल्कि सही तरीके से, सही सलीके से, सही मनोभावों के साथ उसे अभिव्यक्त करना ही डास का असली उद्देश्य होता है।

यह हैं प्रचलित डांस विधाएं
गरबा कत्थक भरतनाट्यम कथकली ओडिसी युवाओं में है क्रेज नृत्य में रुचि रखने वाले युवा क्लासिकल डांस के दीवाने हैं। ऐसे में कई युवा कपल इंडियन क्लासिकल डांस सीखने आते हैं। इस विधा के तहत भारतीय फिल्मों पर आधारित डांस होता है। बहुत से युवा सेमी क्लासिकल भी सीख रहे हैं, इसमें क्लासिकल के साथ बॉलीवुड के स्टेप्स सिखाए जाते हैं।

हर उम्र वर्ग के लोग सीख रहे हैं डांस
क्लासिकल डांस की क्लास में 4 साल के बच्चों से लेकर 30 वर्ष तक की महिलाएं देखी जा सकती हैं। हालांकि अगर आप इसमें कोर्स करना चाहते हैं तो इसके लिए आपकी उम्र 10 साल या इससे ज्यादा होना चाहिए। राजधानी में अनुभवी गुरु नृत्य की बारीकियां सिखा रहे हैं। शहर के युवाओं और बच्चों में डांस सीखने का जुनून है। अधिकतर बच्चे तो क्लासिकल सीखने में लगे हैं। बच्चे इसे फीस देकर सीख सकते हैं। किसी डांस एकेडमी में हर महीने के पांच सौ, जबकि किसी एकेडमी में हजार रुपये तक लगते हैं।

कथक में भी ले रहे रुचि
कथक सीखने में युवा और बच्चे विशेष रुचि दिखा रहे हैं, हालाकि इसे सीखने में समय ज्यादा लगता है। पेरेंट्स भी अपने बच्चों को कथक सिखा रहे हैं। बच्चों को हर तरह का डांस सीखना चाहिए। इससे वे अलग-अलग डास के तरीके को समझ सकें, यह कहना है भारती गुप्ता का जो एक 12 साल की बच्ची की मां हैं।

फिट रहने के लिए भी इससे जुड़ रहीं युवतियां
महिलाएं और लड़किया खुद को फिट रखने के लिए भी शास्त्रीय नृत्य सीखती हैं। बहुत से बच्चे भी ज्यादातर क्लासिकल ही सीखते हैं। डांस फिट रहने का एक बेहतरीन जरिया है।

जानें, क्या कहते हैं एक्सपर्ट
डांस में कॅरियर बनाने के साथ मनोरंजन करते हुए स्वस्थ रहा जा सकता है। डांस जरूर सीखना चाहिए, यह जीवन में आत्मविश्वास जगाती है। क्लासिकल नृत्य हमारी संस्कृती का हिस्सा हैं और बच्चों की इसमें रुचि देख कर खुशी मिलती है। भरतनाट्यम दक्षिण भारत का डास फॉर्म है।
-नंदिता सानयाल, भरतनाट्यम डांस प्रशिक्षक।

जानिए, क्या कहते हैं युवा
क्लासिकल डांस सीखना वेस्टर्न डास फॉर्म सीखने से ज्यादा कठिन है लेकिन जितनी संतुष्टि मुझे क्लासिकल डांस कर के मिलती है, उतनी वेस्टर्न से नहीं मिलती।
-अंजली, बरियातू।
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मैं तीन महीने से कथक सीख रही हूं और इससे मुझे बहुत ही ऊर्जावान महसूस होता है। क्लासिकल डांस बहुत कुछ सिखा देती है। अनुशासित रह कर कैसे जिंदगी में आगे बढ़ सकते हैं यह डांस हमें सिखाता है।
-वंदना, रानी बागान


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