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सिनेमा की समझ को दिया नया आयाम

रांची में इस बार नौवीं बार जागरण फिल्म फेस्टीवल का आयोजन हो रहा है। जाने माने बालीवुड के निर्देशक व अभिनेता सिरकत करेंगे। आगामी तीन से पांच अगस्त तक कार्निवाल सिनेमा में हलचल रहेगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 08:15 AM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 08:15 AM (IST)
सिनेमा की समझ को दिया नया आयाम
सिनेमा की समझ को दिया नया आयाम

रांची :राची में जागरण फिल्म फेस्टिवल नौवें साल में प्रवेश कर रहा है। तीन से पांच अगस्त तक चलने वाला फिल्म फेस्टिवल का यह नौवां संस्करण है। इस फेस्टिवल ने रांची जैसे अपेक्षाकृत छोटे शहर में सिनेमा की समझ का दायरा बढ़ाने में मदद की और लोगों को फिल्म देखने का एक नजरिया भी दिया। रांची के लोग फिल्म निर्माताओं, कलाकारों, निर्देशकों एवं पटकथा लेखकों से सीधे मुखातिब हुए और सिनेमा की बारीकियों को समझा। सवाल-जवाब के दौर ने एक दूसरे को समझने में मदद की। दर्शक क्या चाहते हैं और कोई निर्देशक फिल्म बनाता है तो उसका क्या उद्देश्य होता है, यह सब जानने का मौका मिलता है। पिछले साल तीन दिवसीय फिल्मोत्सव का उद्घाटन सूचना एवं जन संपर्क विभाग, झारखंड के निदेशक राम लखन गुप्ता ने किया था। निर्देशक अविनाश दास सहित कई महत्वपूर्ण हस्तियां मौजूद थीं। रामलखन गुप्ता ने कहा था कि फिल्में समाज का आईना होती हैं। साठ, सत्तर के दशक की फिल्में हों या आज की फिल्में, सभी में हम अपनी संस्कृति, समाज को देख सकते हैं। यही बात अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के बारे में भी कही जा सकती है। फिल्में हमें रुलाती भी हैं, भावुक भी करती हैं, हंसाती भी हैं। उन्होंने बताया, झारखंड सरकार भी फिल्म को लेकर गंभीर है। फिल्म नीति बन गई है। यहां अब फिल्में बन रही हैं। बाहर के फिल्मकार यहां आ रहे हैं शूट कर रहे हैं। उनकी बात आज सच हो रही है। झारखंड में करीब अस्सी फिल्मों की शूटिंग के लिए आवेदन आए हैं। इसमें दक्षिण से लेकर पंजाब तक की फिल्में शामिल हैं। अभी रांची में हंच की शूटिंग भी चल रही है। रवि किशन यहां शूटिंग कर रहे हैं। पिछले दो-तीन सालों में यहां माहौल में परिवर्तन आया है और शूटिंग की रफ्तार तेज हुई है।

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दैनिक जागरण की यह पहल सराहनीय है। वर्कशॉप के जरिए हम सिनेमा के क्राफ्ट को समझने की कोशिश करते हैं। शहर में एक सांस्कृतिक वातावरण का भी निर्माण होता है। पश्चिम ही नहीं, मध्यपूर्व की कई फिल्में भी देखने को मिलीं। मुख्यधारा से इतर सिनेमा भी यहां देख पाते हैं।

श्रीप्रकाश, फिल्मकार

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जागरण फिल्म फेस्टिवल में सिनेमा के नए आयामों पर बातचीत होती है। हमें बालीवुड सिनेमा के निर्माण और अन्य तकनीकी जानकारियां मिलती हैं। यहां के फिल्मकार भी अपनी बात रखते हैं। एक दूसरे से ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। यह कहीं और नहीं होता। इसलिए जागरण फिल्म फेस्टिवल का इंतजार भी रहता है।

अनिल सिकदर, फिल्मकार

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जागरण फिल्म फेस्टिवल का वर्कशॉप सबसे ज्यादा ज्ञानवर्धक होता है। हम सीधे उन लोगों से रूबरू होते हैं, जो इस पेशे से जुड़े हैं, जिनके पास अनुभव होता है। यहां किताबी ज्ञान नहीं मिलता। इसके साथ ही मुख्यधारा से इतर आफ बीट सिनेमा भी देखने को मिल जाता है, जो प्राय: सिनेमा हॉल में हम नहीं देख पाते। रांची जैसे शहर में जागरण ने एक माहौल बनाया है।

मनोज चंचल, फिल्मकार

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फिल्म फेस्टिवल से सिनेमा की समझ बढ़ती है। एक आम आदमी की नहीं, इससे जुड़े लोगों की भी। हर दिन नई-नई तकनीक आ रही है। इसके बारे में भी जानकारी मिलती है। कलाकारों और पटकथा लेखकों से भी मिलने का मौका मिलता है। पेशेगत जानकारियां भी साझा होती हैं। झारखंड में भी अब एक माहौल बन रहा है। यहां अब पंजाब से लेकर दक्षिण भारत की फिल्में भी शूट हो रही हैं। यह बड़ी उपलब्धि है।

दिलेश्वर लोहरा, आर्ट डायरेक्टर


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