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बेड़ो में डायन के शक में महिला की हत्या

हत्यारे ने पुलिस के समक्ष किया आत्मसमर्पण, एक ही गांव का है आरोपित, पुत्र की मौत के बाद उठाया बड़ा कदम, टांगी मारकर की महिला की हत्या।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Jul 2018 08:27 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jul 2018 08:33 PM (IST)
बेड़ो में डायन के शक में महिला की हत्या
बेड़ो में डायन के शक में महिला की हत्या

रांची : झारखंड में डायन बिसाही के नाम पर हत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा है। रांची जिले के बेड़ो प्रखंड के नरकोपी थाना क्षेत्र के खड़देवड़ी गाव में शनिवार को तीन बजे दिन में गाव के ही गोवर्धन मुंडा ने डायन बिसाही का आरोप लगाते हुए लगभग 50 वर्षीय सलिया मुंडाइन की घर में घुसकर टागी से मारकर हत्या कर दी।

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घटना की जानकारी मिलने के बाद नरकोपी के थाना प्रभारी हरेंद्र चौधरी सशस्त्र बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। साथ ही पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया।

घटना के कुछ घटों बाद पुलिस की सक्रियता को देखकर हत्यारोपी गोवर्धन मुंडा ने नरकोपी पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। जानकारी के अनुसार पिछले 6 जुलाई को गोवर्धन मुंडा के पुत्र की मौत किन्ही कारणों से हो गई थी।

पुत्र की मौत को लेकर गोवर्धन मुंडा सलिया मुंडाइन को डायन बिसाही करने का आरोपी मानता था। इस बात को लेकर उसकी शुक्रवार को सलिया से कहासुनी हुई और उसने टागी से प्रहार कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया।

उसे परिजन पुलिस की मदद से बेड़ो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाए, जहा इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इधर, पुलिस ने बताया कि गोवर्धन मुंडा के आत्मसमर्पण व स्वीकारोक्ति के बाद हत्या में प्रयुक्त टागी को बरामद कर उसे जेल भेज दिया।

इधर, घटना को लेकर मृतका के पति भौरा मुंडा ने नरकोपी थाना डायन बिसाही प्रतिषेध अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज कराया है। अब तक सैंकड़ों महिलाओं की हो चुकी है हत्या

राज्य में अबतक डायन बिसाही के आरोप में सैंकड़ों महिलाओं की हत्या की जा चुकी है। इस गंभीर समस्या के निराकरण के लिए कई लोग और कई संस्थाएं लड़ाई लड़ रही हैं। तमाम तरह की योजनाओं और कई संस्थाओं के काम करने के बावजूद इस कुप्रथा को लोगों के दिमाग से नहीं निकाला जा सका है।

डायन बताकर महिलाओं को मारने और उसके परिवार को प्रताड़ित करने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है।

बीते दिनों कई घटनाओं में डायन बताकर महिला को मल-मूत्र पिलाने, निर्वस्त्र कर गांव में घूमाने और दुष्कर्म जैसे मामले भी सामने आए हैं। ऐसी अमानवीय घटनाओं को रोकने में डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 भी प्रभावी नहीं हो पाया है।


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