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झारखंड में विधायक फंड बढ़ाने का सरकार पर प्रेशर

झारखंड में विधायक फंड की राशि में बढ़ोतरी को लेकर सरकार पर प्रेशर बढ़ता जा रहा है

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 09:13 AM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 09:13 AM (IST)
झारखंड में विधायक फंड बढ़ाने का सरकार पर प्रेशर
झारखंड में विधायक फंड बढ़ाने का सरकार पर प्रेशर

प्रदीप सिंह, रांची : झारखंड में विधायक फंड की राशि में बढ़ोतरी को लेकर सरकार पर प्रेशर बढ़ रहा है। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष के विधायकों ने इस मसले पर आपस में मंत्रणा की। विधायक गोलबंद होकर इसे सरकार के समक्ष उठाने की योजना बना रहे हैं। दलील यह दी जा रही कि जीएसटी लागू होने के बाद योजनाओं की लागत बढ़ गई है। इसके अलावा सरकार का शिड्यूल रेट भी बढ़ चुका है। इससे योजनाओं की लागत 30 फीसद तक बढ़ चुकी है। एक विधायक के मुताबिक जिस काम की लागत एक लाख थी उसपर खर्च 1.30 लाख आ रहा है। इससे कामकाज की गति प्रभावित होगी।

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फिलहाल विधायकों को सालाना छह करोड़ रुपये विधानसभा क्षेत्र में काम कराने के लिए फंड मिलता है। विधायकों का मत है कि इसे बढ़ाकर पांच से छह करोड़ सालाना किया जाना चाहिए। इससे संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में काम कराने में सहूलियत होगी।

डीसी बिल है बड़ा रोड़ा

विधायकों को मिलने वाले फंड का एक बड़ा रोड़ा डीसी बिल (अग्रिम राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र) है। हर वित्तीय वर्ष इसे देना आवश्यक है। ऐसा नहीं होने पर विधायक फंड की राशि रोक दी जाती है। विधायकों का यह भी तर्क है कि इसकी बाध्यता समाप्त होना चाहिए। जब सीएजी ने यह इंगित किया है कि विभिन्न विभागों के 18 हजार करोड़ रुपये के कामकाज का उपयोगिता प्रमाणपत्र नदारद है तो विधायक फंड के साथ ऐसी सख्ती सही नहीं है। राज्य सरकार को इसपर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए। डीसी बिल जमा नहीं होने के कारण अगले वित्तीय वर्ष की राशि रुक जाती है जिसका सीधा असर कामकाज पर पड़ता है और विधायकों को लोगों का कोपभाजन बनना पड़ता है।

एमएलए फंड निश्चित तौर पर बढ़ाया जाना चाहिए, इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं है। राज्य सरकार अन्य कार्यो की तरह एमएलए फंड के जरिए होने वाले कामकाज के फंड को देखे। कामकाज पूरा करने की जिम्मेदारी संबंधित विधायक की है। विधायक फंड के जरिए तात्कालिक कार्य भी कराए जाते हैं, जो संबंधित क्षेत्र के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए होता है। ऐसे में राशि बढ़ने से जनकल्याणकारी कार्यो को बढ़ावा मिलेगा।

राधाकृष्ण किशोर

मुख्य सचेतक, सत्तारूढ़ दल

निर्माण सामग्रियों के दाम बेतहाशा बढ़े हैं। इसका सीधा असर कामकाज पर पड़ रहा है। योजनाओं की लागत बढ़ रही है और लोगों की अपेक्षाएं भी विधायकों से काफी ज्यादा है। जीएसटी लागू होने का भी असर पड़ रहा है। ऐसे में विधायक फंड बढ़ाकर छह करोड़ करने से कामकाज को गति मिल पाएगी।

कुणाल षाडंगी

सचेतक, झामुमो

सरकार विधायक फंड की राशि बढ़ाए। अभी जो राशि है वह पर्याप्त नहीं है। इससे लोगों की अपेक्षा के अनुरूप काम कराने में भी मुश्किलें आ रही हैं। मुख्यमंत्री इसपर फैसला लें। यह राज्य के हित में होगा।

डॉ. इरफान अंसारी

विधायक, कांग्रेस।


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