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आंखों में आंसू कम और पति के बलिदान पर गर्व ज्यादा

नायब सूबेदार नागेश्वर महतो कारगिल के उन शहीदों में एक नाम है, जिनके बलिदान पर आज पूरा देश गर्व कर रहा है।

By Edited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 10:53 AM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 02:41 PM (IST)
आंखों में आंसू कम और पति के बलिदान पर गर्व ज्यादा
आंखों में आंसू कम और पति के बलिदान पर गर्व ज्यादा

रांची। कारगिल के युद्ध हुए उन्नीस साल हो गए, लेकिन आज भी सबके जेहन में कई यादें ताजा हैं। रांची की सरजमीं गवाह है ऐसी कई वीरों के बलिदान की जिनके बूते भारत ने पाकिस्तान पर फतेह हासिल की थी। नायब सूबेदार नागेश्वर महतो कारगिल के उन शहीदों में एक नाम है, जिनके बलिदान पर आज पूरा देश गर्व कर रहा है। दिवंगत शहीद नागेश्वर महतो की पत्‍‌नी संध्या देवी आज भी उनसे जुड़ी कई यादें संजोए हुई हैं। पति की शहादत पर उनकी आंखों में आंसू तो हैं लेकिन उससे कहीं ज्यादा गर्व इस बात का है कि पति कर मौत देश की खातिर हुई।

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संध्या देवी बिरसा चौक पर भारत पेट्रोलपंप की मालकिन हैं। तीन बेटे हैं, बड़ा बेटा मुकेश 29 वर्ष का है और अब पट्रोलपंप संभालने लगा है। दूसरा बेटा अभिषेक 27 वर्ष का है और हैदराबाद में सीए है। छोटा बेटा आकाश स्नातक का छात्र है। संध्या देवी बताती हैं कि पति की मौत के बाद बेटों और घर की जिम्मेदारी काफी बड़ी थी, लेकिन घर के अन्य सदस्यों के सहयोग से सबकुछ संभव हो सका।

शहीद होने की खबर सुन दिन भर बेहोश रही थी संध्या
संध्या देवी बताती हैं कि नागेश्वर महतो 13 जून को शहीद हुए थे, जिसके एक दिन बाद खबर लेकर कुछ जवान आए थे। खबर सुनकर संध्या पूरे दिन बेहोश रही थी। 16 जून को पति के पार्थिव शरीर को देख कर खूब रोईं। वे कहती हैं कि वो क्षण बहुत दुखद था लेकिन पति की कुर्बानी बर्बाद नहीं हुई इस बात से खुशी मिलती है। भारत ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त किया था। फायरिंग और राष्ट्रध्वज के बीच पति का अंतिम संस्कार गौरव का क्षण था।

तोप के गोले से शहीद हुए थे
नायब सूबेदार नागेश्वर कारगिल युद्ध के बीच एक घंटे का विराम मिला था जब सूबेदार नागेश्वर अपने तोप को ठीक कर रहे थे। पाकिस्तान के सैनिक ऊंचाई पर थे और भारतीय नीचे। इस बात का फायदा पाकिस्तान के सैनिकों को मिला और युद्ध विराम के बीच ही एक गोला उनके ठीक बगल में आकर फटा। धमाका हुआ और नायाब सूबेदार वीरगति को प्राप्त हुए। 13 जून को पूरा परिवार उनकी बरसी मनाता है और उनकी शहादत को याद करता है। संध्या देवी आज जीवन के 45 बसंत देख चुकी हैं और परिवार की जिम्मेदारी को बखूबी निभाई हैं।

इन सबके बीच वे आज भी अपने पति को याद करती हैं और कहती है कि उनके साथ जिंदगी कुछ और थी। नागेश्वर महतो बेहद जिंदादिल इंसान थे। पूरे परिवार को आज भी उनकी कमी महसूस होती है। संध्या देवी के परिवार के साथ आज पूरी राजधानी कारगिल दिवस के मौके पर नायब सूबेदार को विनम्र श्रद्धांजलि देता है।


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