Move to Jagran APP

रांची-जमशेदपुर फोरलेन निर्माण की होगी सीबीआइ जांच

कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामले में संबंधित पक्षों की आपसी लड़ाई में जनहित का मुद्दा प्रभावित नहीं होना चाहिए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 07:50 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 07:50 PM (IST)
रांची-जमशेदपुर फोरलेन निर्माण की होगी सीबीआइ जांच
रांची-जमशेदपुर फोरलेन निर्माण की होगी सीबीआइ जांच

राज्य ब्यूरो, रांची। रांची-जमशेदपुर फोरलेन सड़क निर्माण में वित्तीय गड़बड़ी की जांच अब सीबीआइ करेगी। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह और जस्टिस एके चौधरी की कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में सीबीआइ को प्रारंभिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। सीबीआइ को तीन माह में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करना है। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामले में संबंधित पक्षों की आपसी लड़ाई में जनहित का मुद्दा प्रभावित नहीं होना चाहिए। उक्त सड़क निर्माण का मामला जनहित से जुड़ा है इसलिए कोर्ट इसे असीमित समय के लिए नहीं छोड़ सकती है।

loksabha election banner

इस सड़क के निर्माण का कार्य पूरा होना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र सरकार की एजेंसी सीरियस फ्राड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआइओ) को मामले से संबंधित सभी दस्तावेज सीबीआइ को सौंपने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को भी जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। नौ जुलाई को हाई कोर्ट ने मामले में सीबीआइ को प्रतिवादी बनाते हुए यह बताने को कहा था कि सड़क निर्माण में वित्तीय गड़बड़ी की वह जांच करेगी या नहीं। बुधवार को सीबीआइ की ओर से बताया गया कि कोर्ट के आदेश और जनहित का मामला देखते हुए वह इस मामले की जांच के लिए तैयार है। सीबीआइ के वकील ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में प्रारंभिक जांच की अनुमति दी जाए। साथ ही एसएफआइओ, एनएचएआइ, बैंक से भी सहयोग की जरूरत होगी। इस पर कोर्ट ने प्रारंभिक जांच और सभी पक्षों को सहयोग करने का निर्देश दिया।

संवेदक को बर्खास्त करने की मांगी अनुमति

सुनवाई के दौरान एनएचएआइ की ओर से कोर्ट में आवेदन देकर सड़क निर्माण करने वाली रांची एक्सप्रेस वे कंपनी को बर्खास्त करने की अनुमति मांगी गई। एनएचएआइ ने कोर्ट से कहा कि उन्हें बिना औपचारिकता पूरी किए ही संवेदक को बर्खास्त करने की अनुमित दी जाए। इसपर संवेदक और बैंक ने विरोध जताया और जवाब दाखिल करने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। नौ अगस्त तक दोनों पक्षों को जवाब दाखिल करना है।

एनएचएआइ ले रहा यू-टर्न

संवेदक कंपनी ने हाई कोर्ट को बताया कि कुछ दिनों पहले एनएचएआइ ने इस प्रोजेक्ट के पचास फीसद काम पूरा होने पर आगे के काम के लिए एकमुश्त राशि देने का वादा किया था, लेकिन अब एनएचएआइ इससे मुकर रहा है और उन्हें बर्खास्त करने की मांग कर रहा है, जो सही नहीं है। कंपनी यह प्रोजेक्ट पूरा करना चाहती है। कंपनी ने अबतक प्रोजेक्ट लागत की 80 फीसद राशि खर्च कर दी है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि 80 फीसद राशि खर्च करने के बाद काम सिर्फ 50 फीसद पूरा करना उचित प्रतीत नहीं हो रहा है। पूर्व में हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद केंद्र सरकार के एसएफआइओ को वित्तीय विचलन की जांच करने का आदेश दिया था। एसएफआइओ की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि संवेदक कंपनी ने सड़क निर्माण के लिए बैंक द्वारा मिली राशि का उपयोग दूसरे कार्य में किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.