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पीड़िता को क्यों नहीं एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाए

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव को भेजा नोटिस राज्य ब्यूरो, रांची : राष्ट्रीय मानवाि

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 08:59 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 08:59 AM (IST)
पीड़िता को क्यों नहीं एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाए
पीड़िता को क्यों नहीं एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाए

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव को भेजा नोटिस राज्य ब्यूरो, रांची : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोडरमा सदर अस्पताल में एक गर्भवती महिला का प्रसव वेदना में होते हुए भी डॉक्टरों द्वारा उसका इलाज नहीं करने को गंभीरता से लिया है। जांच में डॉक्टर की लापरवाही सामने आने के बाद आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को नोटिस भेजते हुए पूछा है कि क्यों नहीं इस मामले में पीड़िता को एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाए? आयोग का कहना है कि यह पूरी तरह मानवाधिकार के हनन का मामला है।

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इससे पहले, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार से इसपर जवाब मांगा था। इस आलोक में स्वास्थ्य विभाग ने कोडरमा सिविल सर्जन से इस मामले की जांच कराई। जांच में प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डा. संध्या टोपनो की लापरवाही सामने आई। स्वास्थ्य विभाग ने आयोग को भेजे गए जवाब में कहा कि सिविल सर्जन की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी चिकित्सा पदाधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही चलाई गई है। उसे दंडित भी किया गया है। इसके बाद आयोग ने पीड़िता को मुआवजा भुगतान को लेकर नोटिस भेजा। आयोग ने मुख्य सचिव को छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।

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निदेशक प्रमुख से मांगा मंतव्य

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा राज्य सरकार को नोटिस भेजे जाने के बाद गृह विभाग ने स्वास्थ्य विभाग को इसपर जवाब देने को कहा है। इधर, स्वास्थ्य विभाग ने निदेशक प्रमुख (स्वास्थ्य सेवाएं) से इसपर मंतव्य मांगा है। यह घटना 9 मई 2016 को है। निदेशक प्रमुख को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया है।

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