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रांची में बनेगा देश का पहला खादी मॉल

राइडर :: कारीगर पंचायत : मुख्यमंत्री ने कहा, स्मार्ट सिटी में 15 अगस्त को रखी जाएगी नींव क्र

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Jul 2018 12:26 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 12:26 AM (IST)
रांची में बनेगा देश का पहला खादी मॉल
रांची में बनेगा देश का पहला खादी मॉल

राइडर ::

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कारीगर पंचायत : मुख्यमंत्री ने कहा, स्मार्ट सिटी में 15 अगस्त को रखी जाएगी नींव

क्रासर ::

- बोले सीएम

- आप लोग बाजार की चिंता न करें, हम कराएंगे उपलब्ध

-खादी और ग्रामोद्योग से ही बदल सकता है झारखंड का चेहरा

-अब सरकारी स्कूलों में झारक्राफ्ट और खादी बोर्ड के माध्यम से ड्रेस की सप्लाई जागरण संवाददाता, रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि स्मार्ट सिटी में देश का पहला खादी मॉल बनेगा। उन्होंने एक एकड़ जमीन देने की घोषणा के साथ यह भी कहा कि इसकी नींव 15 अगस्त को रखी जाएगी। घोषणा की कि साल में खादी का बजट 19 करोड़ है, इसे अब बढ़ाया जाएगा। कारीगरों के उत्थान के लिए प्रयास जारी हैं, उन्हें बाजार दिया जाएगा। वे रविवार को झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा खेलगांव के हरिवंश टानाभगत इनडोर स्टेडियम में पहली बार आयोजित कारीगर पंचायत को संबोधित कर रहे थे। इस पंचायत में पूरे राज्य से करीब 6822 विभिन्न क्षेत्रों के कारीगर आए हुए थे। इस मौके पर उन्होंने खादी बोर्ड द्वारा उत्पादित सत्तू को भी लांच किया।

सीएम ने इस कारीगर पंचायत की तारीफ करते हुए कहा कि यह पंचायत कारीगरों की जिंदगी के बदलाव का माध्यम बनेगी, साथ ही लोगों को जागरूक भी करेगी। कारीगरों से अपील करते हुए कहा कि यहां जो तकनीकी सत्र है, उसका पूरा लाभ लें और अपने उत्पाद को समय की मांग के अनुरूप बनाए। प्रकृति ने झारखंड पर इनायत बरती है। यहां क्या नहीं है? झारखंड सबसे अमीर राज्य है, लेकिन लोग गरीब हैं। हमें इनकी गरीबी को मिटाना है। यह काम खादी और ग्रामोद्योग के माध्यम से हो सकता है। इसके जरिए हमें झारखंड का चेहरा बदलना है।

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गांव और शहर में बनेंगे हाट :

मुख्यमंत्री ने कहा, कारीगरों को बाजार की चिंता न करें, हम उन्हें बाजार देंगे। गांव और शहर में हाट बनेंगे। पर्यटन स्थलों पर भव्य और आधुनिक हॉट बनाए जाएंगे, जहां झारखंड के कारीगरों के उत्पाद उपलब्ध होंगे। इसके अलावा खादी बोर्ड और झारक्राफ्ट के बिक्री सेंटरों पर भी झारखंडी कला उत्पाद उपलब्ध होंगे। झारखंडी कला को वैश्विक बाजार भी दिया जाएगा। सीएम ने कहा कि स्वीडन की एक कंपनी ने पांच लाख बास की टोकरी का आर्डर दिया है। हम विदेशों में अपनी सब्जी भेज रहे हैं। सिल्क भेज रहे हैं। बांस के सामान की मांग भी अब बढ़ रही है।

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हर गांव में हो ग्रामोद्योग :

रघुवर दास ने कहा, हमारा लक्ष्य हर गांव में ग्रामोद्योग लगाना है। खादी बोर्ड द्वारा कारीगरों को आधुनिक यंत्र दिए जाएंगे और उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। अभी उद्योग विभाग ने कारीगरों की सूची बनाई है, उसमें एक लाख 13 हजार को सूचीबद्ध किया है। इसमें कई क्षेत्र नहीं जोड़े गए हैं। इन कारीगरों को हर तरह की सुविधा सरकार देगी।

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सबका साथ, सबका विकास पर जोर :

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां मुस्लिम महिलाएं भी हैं। चर्च रोड में करीब 80 महिलाएं जरी का काम करती हैं। इन्हें और आगे बढ़ाना है। हमारा उद्देश्य सबका साथ, सबका विकास है। जाति, धर्म देखकर हम काम नहीं करते। महिलाएं स्कूली ड्रेस की सिलाई कर सकती हैं। अब सरकारी स्कूलों में झारक्राफ्ट और खादी बोर्ड के माध्यम से ड्रेस की सप्लाई होगी। इससे भी लोगों को रोजगार मिलेगा। इस मौके पर सीएम ने कई कारीगरों को सम्मानित भी किया।

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पेशागत करीगरी को मिलेगा बढ़ावा :

पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि इस पंचायत से पेशागत कारीगरी को बढ़ावा मिलेगा। झारखंड में कारीगरों की कमी नहीं है। हर गांव में कारीगर मिल जाएंगे। लेकिन बाजार न मिलने के कारण यह परंपरा लुप्त हो रही थी। अब राज्य सरकार व खादी बोर्ड ने इसमें आगे बढ़कर पहल की है तो यह परंपरा अब आगे बढ़ेगी। गांव आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।

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मिटेगी गरीबी, मिलेगा रोजगार :

जनजातीय कल्याण मंत्री सुदर्शन भगत ने कहा कि खादी व ग्रामोद्योग के क्षेत्र में रोजगार की सर्वाधिक संभावना है। हर गांव स्वावलंबी हो सकता है। एक सबसे बड़ी समस्या, बाजार की है। यह काम हो जाएगा तो गांव की कारीगरी भी जिंदा हो जाएगी और गांव स्वावलंबी भी बन सकेगा। बांस, लाह, तसर, टेराकोटा से लेकर कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिससे हम बेहतर कमा सकते हैं। उद्योग विभाग के सचिव विनय चौबे ने मुद्रा लोन के बारे में बताया कि पचास हजार से दस लाख रुपये का ऋण प्राप्त किया जा सकता है। अभी हर गांव में उद्यमी सखी बनाना है। माटी कला बोर्ड, उद्यमी बोर्ड आदि इस दिशा में सक्रिय हैं।

स्वागत करते हुए बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ ने कहा कि दो सालों में खादी बोर्ड ने काफी तरक्की की है। आमदा से लेकर हरिहरगंज में खादी का काम तेजी से बढ़ा है। हरिहरगंज में चार सौ मीटर प्रतिदिन कपड़ा तैयार हो रहा है। इसी तरह चांडिल में भी। हर महिला को प्रशिक्षण दिया जाता है और उसे हर दिन 150 रुपये का सहयोग भी दिया जाता है। सिलाई मशीन भी उसे दी जाती है।

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