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भाजपा का षड्यंत्र है पत्थलड़ी : झामुमो

गुजरात से नियंत्रित हो रहा खूंटी, क्यों नहीं एक्शन ले रही सरकार, केंद्र सरकार करे हस्तक्षेप, राज्यपाल के माध्यम से मंगाए रिपोर्ट।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 03:00 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 03:00 PM (IST)
भाजपा का षड्यंत्र है पत्थलड़ी : झामुमो

राज्य ब्यूरो, रांची : झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पत्थलगड़ी के कारण अशांत हुए खूंटी जिले को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी मुख्यालय में प्रवक्ता सुप्रियो भंट्टाचार्य और तोरपा के विधायक पौलुस सुरीन ने दावा किया कि पत्थलगड़ी को भाजपा प्रोत्साहन दे रही है। यह षड्यंत्र सत्ताधारी दल का है ताकि शिड्यूल एरिया में विवाद पैदा किया जा सके।

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कहा, पत्थलगड़ी का केंद्र गुजरात है जहां से खूंटी तक इसका संचालन हो रहा है। गुजरात में किसकी सरकार है, यह सभी जानते हैं। दरअसल खूंटी में पांच युवतियों संग हुए दुष्कर्म की घटना को दबाने के लिए विवाद को उभारा गया। जिसा पूरी तरह अशांत है। पारंपरिक व्यवस्था के नाम पर नासमझ लोगों ने भ्रम फैलाया लेकिन सरकार ने पूरे मामले को उलझा दिया।

अब पुलिस और प्रशासन अत्याचार कर रही है। झामुमो नेताओं ने प्रशासन से आग्रह किया कि वे आतंक न फैलाएं। इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। झामुमो ने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि घटना के मद्देनजर सचेत होने की आवश्यकता है। कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। केंद्र सरकार राज्यपाल के मार्फत तुरंत हस्तक्षेप करे।

इसाई मिशनरी को टारगेट कर रही सरकार : पौलुस

तोरपा के विधायक पौलुस सुरीन ने कहा कि भाजपा और आरएसएस इसाई मिशनरियों को जबरन टारगेट कर रही है। खूंटी दुष्कर्म के मामले में जबरन पादरी और नन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। इससे समुदाय में दहशत है। सबकुछ बाहरी शक्तियों के इशारे पर हो रहा है।

उन्होंने दावा किया कि इसाई मिशनरियों ने झारखंड में विकास, शिक्षा और संसाधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए। राज्य सरकार धर्मांतरण करने वाले आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करने का शिगूफा छोड़ रही है जबकि संविधान में इसका प्रावधान है और इसे समाप्त नहीं किया जा सकता।

भाजपा के आदिवासी मंत्री-विधायक कहां से लड़ेंगे :

झामुमो ने धर्मातरित आदिवासियों का आरक्षण खत्म करने के पीछे शिड्यूल एरिया को समाप्त करने की साजिश बताया। पौलुस सुरीन ने कहा कि भाजपा के सारे आदिवासी मंत्रियों और विधायकों को सोचना चाहिए कि अगर शिड्यूल एरिया समाप्त हो गया तो वे कहां से चुनाव लड़ेंगे? उन्होंने मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की चुप्पी पर भी कटाक्ष किया। ललकारा कि ये भाजपा और पूंजीपतियों के रबर स्टांप के तौर पर काम न करें। सिर्फ तोता जैसा रटते रहेंगे तो आदिवासी समाज का नुकसान होगा।


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