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दो-दो करोड़ से वंचित हुए झारखंड के चार कॉलेज

केंद्र ने पिछले वर्ष दी थी स्वीकृति, नहीं पूरा किया मानक -नैक से बी ग्रेड की मान्यता थी जरू

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Jun 2018 08:07 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2018 08:07 AM (IST)
दो-दो करोड़ से वंचित हुए झारखंड के चार कॉलेज
दो-दो करोड़ से वंचित हुए झारखंड के चार कॉलेज

केंद्र ने पिछले वर्ष दी थी स्वीकृति, नहीं पूरा किया मानक -नैक से बी ग्रेड की मान्यता थी जरूरी, मिला सी ग्रेड

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-केंद्र ने पिछले वर्ष फरवरी में दी थी अनुदान की स्वीकृति

-आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए मिलती है राशि

नीरज अम्बष्ठ, रांची : झारखंड के चार कॉलेज दो-दो करोड़ रुपये के अनुदान से वंचित हो गए। यह राशि कॉलेजों को आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत केंद्र सरकार से मिलनी थी। इस तरह, कुल आठ करोड़ रुपये की अनुदान राशि से झारखंड के कॉलेज वंचित हो गए। केंद्र ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत पिछले वर्ष इन कॉलेजों को यह राशि इस शर्त पर दी थी कि कॉलेज नैक से एक्रीडिएशन प्राप्त कर लेगा। लेकिन इन कॉलेजों को सी श्रेणी में ही नैक एक्रीडिएशन मिला, जबकि कम से कम बी श्रेणी में एक्रीडिएशन मिलना अनुदान के लिए जरूरी था। 25 मई को केंद्र में चालू वित्तीय वर्ष के बजट स्वीकृति को लेकर हुई प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड की बैठक में यह बात सामने आने के बाद बोर्ड ने इनके अनुदान की स्वीकृति को रद करने का निर्णय लिया। इस तरह, कॉलेजों को अनुदान मिलने के बाद भी उसका लाभ नहीं लिया जा सका। बता दें कि अभियान के तहत कॉलेजों को आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए दो-दो करोड़ रुपये मिलते हैं।

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इन कॉलेजों का अनुदान हुआ रद

1. कार्तिक उरांव कॉलेज, गुमला

2. जुबली कॉलेज, भुरकुंडा, रामगढ़

3. पीटीपीएस कॉलेज, पतरातू, रामगढ़

4. बीबीएम कॉलेज, बलियापुर, धनबाद

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इस साल वंचित हो रहे थे कई कॉलेज

इस साल अनुदान की राशि से राज्य के अधिसंख्य कॉलेज वंचित हो रहे थे। दरअसल, केंद्र द्वारा निर्धारित समय तक झारखंड से मात्र दो कॉलेजों ने अनुदान के लिए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन भरा था। इनमें टाटा कॉलेज, चाईबासा तथा झारखंड कॉलेज, गिरिडीह शामिल हैं। अनुदान के लिए स्वीकृत 622 कॉलेजों में दो ही झारखंड के थे। हालांकि कई राज्यों में भी इस तरह की बात सामने आने के बाद केंद्र ने अनुदान हेतु आवेदन देने के लिए दूसरी बार पोर्टल खोलने की स्वीकृति दी, जिसके बाद कई कॉलेजों ने आवेदन किया। अब देखना है कि राज्य के कितने कॉलेजों को अनुदान की राशि मिल पाती है।

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