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एफआइआर नदारद, निगरानी जांच को भी नहीं भेजी फाइल

ऊर्जा विभाग ने पूछा, अबतक क्या लिया एक्शन, बनहरदी कोल ब्लाक के ड्रिलिंग कार्य में अनियमितता का है मामला।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Jun 2018 01:12 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jun 2018 01:12 PM (IST)
एफआइआर नदारद, निगरानी जांच को भी नहीं भेजी फाइल
एफआइआर नदारद, निगरानी जांच को भी नहीं भेजी फाइल

प्रदीप सिंह, रांची : बनहरदी कोल ब्लॉक में बगैर स्वीकृति आदेश के मनपसंद कंपनी को ड्रिलिंग का काम देने और वित्तीय लाभ पहुंचाने के मामले में शामिल रहे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है। पूरा प्रकरण एक बार फिर तूल पकड़ रहा है। ऊर्जा विभाग के संयुक्त सचिव ने इस बाबत पूर्व में दिए गए आदेश के हवाले से ऊर्जा उत्पादन निगम प्रबंध निदेशक से पूरी जानकारी मांगी है।

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संयुक्त सचिव ने पूछा है कि ड्रिलिंग को लेकर अनियमितता में ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी ने कार्रवाई का आदेश दिया था। लिहाजा बताया जाए कि इस प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज की गई है या नहीं। यह भी पूछा गया है कि निगम बताए कि सीएमडी के आदेश के बाद भी इस मामले को निगरानी जांच के लिए भेजा गया है अथवा नहीं।

ऊर्जा विभाग के इस पत्र के बाद भी कोई सूचना मुहैया नहीं कराई गई है। जानकारी तलब करने के बाद एक रिमाइंडर भी भेजा गया है लेकिन अभी तक इस मामले में न तो एफआइआर दर्ज की गई है न निगरानी जांच के लिए फाइल भेजी गई है।

क्या है मामला :

बनहरदी कोल ब्लॉक की ड्रिलिंग के लिए खान विभाग ने निविदा निकाली थी। इसमें चार कंपनियों ने भाग लिया था। दो कंपनियों को अयोग्य ठहराने के बाद भी काम दे दिया गया। खान विभाग ने जिस कंपनी को काम देने के लिए जो सहमति पत्र भेजा था उसे ऊर्जा विकास निगम के बोर्ड की सहमति नहीं मिली।

बाद में खनन विभाग ने अपने स्तर से बोर्ड की सहमति का उल्लेख करते हुए सीधे भुगतान की बात की। इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो दोनों विभाग एक-दूसरे पर दोषारोपण करने लगे। इससे बचने के लिए संबंधित कंपनी को डिमाड नोटिस भेजा गया। मामला जब अदालत के पास पहुंचा तो सुनवाई के दौरान मूल फाइल मागी गई। मूल फाइल सामने आने के बाद ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया।

आडिट ने भी इसपर आब्जेक्शन करते हुए जिक्र किया था कि कंपनियों को वित्तीय लाभ पहुंचाया गया। बनहरदी कोल माइन में 1200 मीटर तक ड्रिल करने का दावा किया जा रहा है जबकि इतनी गहराई तक ड्रिलिंग नहीं होती। सीएमपीडीआइ भी 400 मीटर तक ड्रिल करता है। खान विभाग ने भी 600 मीटर तक ड्रिलिंग का सुझाव दिया था।

मुंबई के विजय दीनानाथ चौहान ने की थी शिकायत :

इस प्रकरण में सीबीआइ, रांची की एंटी करप्शन शाखा के समक्ष मुंबई के विजय दीनानाथ चौहान ने शिकायत की थी। इसकी प्रति ऊर्जा विभाग को भी भेजी गई थी। इसमें जिक्र है कि ऊर्जा उत्पादन निगम के तत्कालीन पदाधिकारी काजी मोहम्मद इजराइल, आरके सिंह, गोविंद यादव, सुधांशु कुमार और एसएन वर्मा ने बनहरदी कोल ब्लाक के ड्रिलिंग कार्य के लिए चयनित संस्था मेसर्स साउथ वेस्ट पिनाकल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड, हरियाणा को लाभ पहुंचाने के लिए पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों का भुगतान किया। इस शिकायत को आधार बनाते हुए ऊर्जा विभाग के विशेष सचिव ने उत्पादन निगम से जानकारी तलब की है।


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