आखिरकार कोचांग-कुरुंगा पहुंची पुलिस
सबहेड :: सामूहिक दुष्कर्म की घटना के छठे दिन पहुंची, लोगों का लिया बयान क्रासर :: -
सबहेड :: सामूहिक दुष्कर्म की घटना के छठे दिन पहुंची, लोगों का लिया बयान
क्रासर ::
- गांवों में तीन टीम पूरी तैयारी के साथ गई थी, हुई जांच-पड़ताल
- स्वयंभू नेता जॉन जुनास तिड़ू की गिरफ्तारी के लिए दी गई दबिश जागरण संवाददाता, खूंटी : अड़की के कोचांग में पांच युवतियों से सामूहिक दुष्कर्म मामले में आखिरकार छठे दिन सोमवार को पुलिस की तीन टीम पूरी तैयारी के साथ कोचांग व कुरुंगा पहुंची तथा छानबीन की। वहां के लोगों से भी घटना के बारे में जानकारी ली गई है। अब भी खूंटी पुलिस की तीन टीम अड़की के इलाकों में जमी हुई है।
टीम को छानबीन में क्या जानकारियां हाथ लगी, इस बारे में पुलिस कुछ भी बताने से कतरा रही है। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे पुलिसकर्मियों ने इस घटना के मास्टरमाइंड पत्थलगड़ी के स्वयंभू नेता जॉन जुनास तिड़ू की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं लगा। पत्थलगड़ी नेता बलराम समद व अन्य पत्थलगड़ी समर्थक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
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ग्रामीणों की सुरक्षा भगवान भरोसे, तीन माह पहले पुलिस को बना लिया था बंधक :
ग्रामीणों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है। गांव में अब भी जनता को पुलिस से ज्यादा भरोसा 'अवैध वर्दीधारियों' पर है। यही कारण है कि ग्रामीण अपनी समस्या पुलिस को नहीं, इन्हीं अवैध वर्दीधारियों को सुनाते हैं। खूंटी जिले के अड़की, रनिया, मुरहू, कर्रा और खूंटी प्रखंड क्षेत्र के कुछ हिस्से अति उग्रवाद प्रभावित माने जाते हैं। इनमें अड़की का इलाका सर्वाधिक खतरनाक माना जाता है। जबसे इस क्षेत्र में पत्थलगड़ी शुरू हुई है, उग्रवाद तेजी से फल-फूल रहा है। गांव-गांव में पत्थलगड़ी कर बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे पुलिस उस क्षेत्र में नहीं जाती है। करीब तीन महीने पहले एक बार पुलिस ने घुसने का प्रयास किया था, तब ग्रामीणों ने तीन घंटे तक पुलिस को बंधक बना लिया था। माफीनामा लिखने के बाद ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासन को छोड़ा था। इसके अलावा साइको में पुलिस को बेइज्जती झेलनी पड़ी थी। इससे इस क्षेत्र के अपराधियों का मनोबल बढ़ता गया है। उन्हें लगता है कि इस एरिया में कुछ भी करें, पुलिस यहां तक नहीं पहुंच सकती है। पुलिस उन क्षेत्रों में न तो गोली चला सकती है और न ही किसी पर लाठी बरसा सकती है।
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कोट ::
आदिवासी भोलेभाले होते हैं, उनपर पुलिस गोली या डंडे नहीं बरसा सकती है। कुछ लोग उन्हें भ्रमित कर अपना काम निकाल रहे हैं। यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा। पत्थलगड़ी होने के कारण पुलिस को गांव में घुसने में थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन छापेमारी तो होती है।
-रणवीर ¨सह, एसडीपीओ, खूंटी।
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