बाजार में आए बच्चों के लिए कार्टून वाले रेनकोट
रांची : बारिश का मौसम आने वाला है। ऐसे में अब बिना छाते के घर से निकलना मुमकिन नहीं होगा। लेकिन बाइक
रांची : बारिश का मौसम आने वाला है। ऐसे में अब बिना छाते के घर से निकलना मुमकिन नहीं होगा। लेकिन बाइक पर छाते के साथ निकलना भी संभव नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए बाजार में रेनकोट की बड़ी रेंज उपलब्ध है। रेनकोट आपको कपड़े की ही तरह आराम तो देगा ही, बारिश से पूरी तरह सुरक्षा भी रखेगा। लोगों ने बरसात से बचने के लिए इन्हें खरीदना भी शुरू भी कर दिया है। रेनकोट कई रंगों और वेराइटी में उपलब्ध हैं। बच्चे हों या बड़े, सभी के लिए अलग प्रकार के रेनकोट हैं, जो आपकी जरूरत और बजट के अनुसार ही हैं।
यहां मिल जाएंगे हर किस्म के रेनकोट -
यूं तो रेनकोट आप अपने घर के पास किसी भी दुकान से खरीद सकते हैं। लेकिन आपकी पसंद, बजट और आपके व्यक्तित्व को सूट करने वाले रेनकोट खरीदने के लिए शहर के प्रसिद्ध बाजारों की तरफ रुख करना होगा। अपर बाजार और मेन रोड के अलावा शहर के बड़े मार्केट में आपको अपनी पसंद के रेनकोट मिल जाएंगे। सैनिक मार्केट, कांके स्थित मार्ट आदि स्थानों पर भी रेनकोट का अच्छा कलेक्शन है। आपकी पसंद के अनुसार हैं कीमतें -
रेनकोट की कीमतें हर किसी के अनुसार हैं। आप अपने बजट के अनुसार रेनकोट खरीद सकते हैं। कीमत 200 रुपये से शुरू होती है। कम कीमत के रेनकोट टिकाऊ नहीं होते। दुकानदार बताते हैं कि आम तौर पर 500 रुपये से 700 रुपये तक के रेनकोट बेहतर होते हैं। वैसे तो बाजार में तीन हजार रुपये तक के रेनकोट उपलब्ध हैं। इस तरह के रेनकोट की है मांग
बाजार में मौजूद रेनकोट में बच्चों के लिए खास कार्टून वाले रेनकोट हैं, जिसमें डोरेमॉन और छोटा भीम सहित प्रसिद्ध कार्टून की आकृति बनी होती है। रेनकोट के कैप भी उसी प्रकार से होते हैं। इसके अलावा एक रेन कोट घुटने की लंबाई तक का होता है। ये स्कूली बच्चों के लिए आरामदायक है। बड़ों के लिए प्लास्टिक और सिंथेटिक दो तरह के रेनकोट हैं, जो कि अलग-अलग कीमतों में उपलब्ध हैं। प्रतिक्रिया -
रेनकोट दो प्रकार के हैं, प्लास्टिक और सिंथेटिक। प्लास्टिक के रेनकोट सस्ते हैं और सिंथेटिक रेनकोट महंगे होते हैं। लोगों की खरीदारी शुरू हो गई है। इस सीजन बेहतर कारोबार की उम्मीद है।
रवि साहू, दुकानदार। बच्चों को स्कूल भेजने के समय सावधानी बरतनी पड़ती है। छाता लेकर भेजने में परेशानी है कि वे छाता संभाल नहीं पाते हैं, जबकि रेनकोट के साथ ये समस्या नहीं आती है। मैं अपने बच्चों को रेनकोट देकर ही स्कूल भेजती हूं।
जया सिंह, लालपुर।