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झारखंड भूमि अधिग्रहण बिल पर भाजपा ने विपक्ष को दी खुली बहस की चुनौती

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के मुताबिक, सिर्फ सरकारी योजनाओं के लिए ही भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा और कृषि भूमि का अधिग्रहण विशेष परिस्थिति में ही किया जाएगा।

By Edited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 09:16 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 01:05 PM (IST)
झारखंड भूमि अधिग्रहण बिल पर भाजपा ने विपक्ष को दी खुली बहस की चुनौती
झारखंड भूमि अधिग्रहण बिल पर भाजपा ने विपक्ष को दी खुली बहस की चुनौती

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद विपक्ष के निशाने पर आई राज्य सरकार के पक्ष में भाजपा खुलकर सामने आई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने रविवार को प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत में संशोधन को आदिवासियों-मूलवासियों और रैयतों के हित में बताया। स्पष्ट किया कि सिर्फ सरकारी योजनाओं के लिए ही भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा और कृषि भूमि का अधिग्रहण विशेष परिस्थिति में ही किया जाएगा। किसी भी जिले में कुल शुद्ध बोया क्षेत्र (खेतिहर जमीन) के एक चौथाई से अधिक का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।

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लक्ष्मण गिलुवा ने विपक्ष पर निशाना भी साधा। कहा, प्रतिपक्ष जनता को दिग्भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि गिलुवा ने स्वीकारा कि उन्होंने अब तक यह नहीं देखा है कि संशोधित विधेयक में क्या है। लेकिन पूर्व में राष्ट्रपति को भेजे गए संशोधित बिल के आधार पर वह यह कह सकते हैं किसंशोधित विधेयक से आदिवासी, मूलवासियों और रैयतों के हितों की रक्षा होगी। कहा, सिर्फ सरकारी कार्य के लिए ही मसलन, सड़क निर्माण, विद्यालय व महाविद्यालय का निर्माण, अस्पताल, आंगनबाड़ी, रेल परियोजनाओं इत्यादि के लिए ही जमीन ली जाएगी। इसके एवज में चार गुना मुआवजा दिया जाएगा। अधिसूचित क्षेत्र में पेसा कानून के तहत ग्राम सभा की सहमति से जमीन ली जाएगी। कहा, खेती की जमीन सिर्फ आवश्यकता पड़ने पर ही ली जाएगी।

गिलुवा ने कहा कि पूर्व में भी जमीन का अधिग्रहण किया जाता रहा है। लेकिन रैयत को उनका अधिकार नहीं मिलता था। औनेपौने में ही मुआवजा मिलता था। संशोधित विधेयक में रैयतों के हितों का ख्याल रखा गया है। यह पूछने पर कि पूर्व के भूमि अधिग्रहण बिल में ही चार गुना मुआवजा देने का प्रावधान है तो फिर नए सिरे से इस बिल को लाने की क्या जरूरत थी, पर कहा कि यह बिल में संशोधन झारखंड के रैयतों के हित के लिए किया गया है। विद्यालयों के विलय पर कहा कि जहां विद्यार्थियों की संख्या कम थी वहीं ऐसा किया गया है। इस मौके पर प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश और मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक भी उपस्थित थे।

विपक्ष को दी खुली बहस की चुनौती
लक्ष्मण गिलुवा ने पूंजीपतियों के लिए जमीन अधिग्रहण के विपक्ष के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें चुनौती दी। कहा, वे बताएं कि कहां लिखा है कि जमीन का अधिग्रहण कर बड़े-बड़े कारखाने खोले जाएंगे। रैयत की जमीन हड़प ली जाएगी। चेताया कि विपक्ष जनता को दिग्भ्रमित न करे। इस मसले पर उन्होंने विपक्ष को खुली बहस की चुनौती दी। कहा, ऐसा नहीं होगा कि विपक्ष जो कहे उसे मान लिया जाए। सच तो यह है कि बिल से आदिवासी व मूलवासियों के हितों की रक्षा होगी। 


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