मूल्यांकन में अव्यवस्था से रिजल्ट में हो रहा विलंब
उत्तरपुस्तिकाएं मूल्यांकन में हो रही देर से रिजल्ट को ले छात्रों में बैचेनी है।
जागरण संवाददाता, रांची : राज्य के करीब दो लाख विद्यार्थियों को इंटरमीडिएट आर्ट्स के रिजल्ट का इंतजार है। इधर जैक भी इनकी उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन पूरी रफ्तार से करवा रहा है। रफ्तार इस हद तक हो गई है कि मूल्यांकन में अफरा-तफरी का माहौल है। किसी केंद्र पर मूल्यांकन का कार्य समाप्त हो जाता है, वहां से परीक्षक रिलिव हो जाते हैं।
लेकिन दूसरे या तीसरे दिन ही परीक्षकों को फिर से कॉल आता है कि आप फिर से ज्वाइन करें, क्योंकि दूसरे सेंटर से हजारों उत्तरपुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए आ गई है। परीक्षक भी भागे-भागे जल्दी पहुंचते हैं ताकि रिजल्ट जारी होने में अब और विलंब नहीं हो। इधर अव्यवस्था ऐसी है कि उत्तरपुस्तिकाएं एक माह तक यूं ही पड़े रहने के बाद पता चलता है कि यहां तो परीक्षक ही नहीं है।
शिक्षक नहीं और भेज दी जाती है कॉपियां :
मूल्यांकन कार्य की इस बदहाल स्थिति का कारण है अदूरदर्शिता व सामंजस्य का अभाव। जैक को पहले जिलावार व विषयवार शिक्षकों की उपलब्धता की सूची बनानी चाहिए थी ताकि उसी अनुसार उत्तरपुस्तिकाएं डिस्ट्रीब्यूट किया जा सके, लेकिन होता है इसके उल्टा। यहां पहले उत्तरपुस्तिकाएं बांट दी जाती है, बाद में परीक्षकों की सूची बनती है तो पता चलता है कि जिस जिले के सेंटर पर अधिक कॉपी भेजी गई है वहां शिक्षक कम हैं और जहां कॉपी कम भेजी गई है तो वहां शिक्षक अधिक हैं। कार्यशैली तो ऐसी है कि कई बार ऐसे जिले में कुछ विषयों की कॉपियां भेज दी जाती है जहां उस विषय के शिक्षक ही नहीं होते हैं।
अब आ गई पांच हजार कॉपियां :
आर्ट्स का मूल्यांकन 13 मई से शुरू हुआ है। एक दिन पहले बालकृष्णा प्लस टू उवि मूल्यांकन केंद्र पर विभिन्न विषयों की 5000 उत्तरपुस्तिाकाएं मुल्यांकन के लिए आई है। गोड्डा से एंथ्रोपलॉजी और गिरिडीह से कुड़ुख की उत्तरपुस्तिकाएं लाई गई है। इन जिलों में एंथ्रोपलॉजी व कुड़ुख के शिक्षक नहीं होने के बावजूद वहां कॉपियां भेज दी गई थी। इसी सेंटर पर 14 जून को चाईबासा से अंग्रेजी की करीब साढ़े तीन हजार कॉपियां लाई गई हैं। इसी तरह दूसरे जिले से बंगला व सोशियोलॉजी की भी कॉपियां मूल्यांकन के लिए आई है। अब रिलिव हुए कई परीक्षक फिर से ज्वाइन कर रहे हैं।
इनका मार्क्स फाइल किसने किया :
मूल्यांकन कार्य का एक नमूना यह भी है कि सेंट जॉन इंटर कॉलेज को साइंस के लिए मूल्यांकन सेंटर बनाया गया था। लेकिन यहां मूल्यांकन के लिए आर्ट्स की कॉपियां भेज दी गई। परीक्षकों ने मूल्यांकन तो कर दिया, लेकिन समस्या उस समय हुई जब जैक ने इसके लिए मार्क्स फोलियो ही नहीं भेजा। मार्क्स फाइल परीक्षकों को ही करना होता है। लेकिन इन उत्तरपुस्तिकाओं का मार्क्स किसने और कब फाइल किया पता नहीं।
नन स्टॉप हो रहा मूल्यांकन :
जैक ने कुछ विषयों के शिक्षकों को मशीन बनाकर छोड़ दिया है। इकोनोमिक्स, अंग्रेजी व ¨हदी जैसे विषयों के परीक्षक तीन मई से नन स्टॉप (मूल्यांकन रविवार को भी होता है।) मूल्यांकन में लगे हैं। मूल्यांकन दो शिफ्टो में चल रहा है। इधर शिक्षकों को यह भी डर सता रहा है मूल्यांकन की ऐसी शैली में कहीं अंकों के जोड़ या कुछ अन्य गलती न हो जाए। यदि होता है तो जैक इन्हें ब्लैक लिस्टेड करने के लिए पहले से तैयार बैठा है।
पहले से जो कॉपियां यहां थी उसका मूल्यांकन हो गया है। कुछ जिलों से उत्तरपुस्तिकाएं आई है। मूल्यांकन कार्य 20 जून तक समाप्त हो जाएगा।
रतन महावर, जिला शिक्षा पदाधिकारी, रांची