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ओरल कैंसर के 90 फीसद मामले तंबाकू से

रांची : ओरल कैंसर (मुंह से जुड़े) के 90 फीसद मामले तंबाकू के सेवन से होते हैं। सभी प्रकार के कैंसरों

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 May 2018 07:11 PM (IST)Updated: Thu, 31 May 2018 07:11 PM (IST)
ओरल कैंसर के 90 फीसद मामले तंबाकू से
ओरल कैंसर के 90 फीसद मामले तंबाकू से

रांची : ओरल कैंसर (मुंह से जुड़े) के 90 फीसद मामले तंबाकू के सेवन से होते हैं। सभी प्रकार के कैंसरों में तंबाकू के सेवन से जुड़े कैंसरों का हिस्सा दस फीसद है। तंबाकू मुंह, गला, फेफड़े, कंठ, खाद्य नली, मूत्राशय तथा गुर्दा आदि में कैंसर पैदा कर सकता है। इन डरावने आंकड़ों के बावजूद झारखंड में तंबाकू के सेवन में अपेक्षित कमी नहीं आ पा रही है। अभी भी झारखंड में इसका सेवन राष्ट्रीय दर से काफी अधिक होता है।

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लगभग दस साल पहले झारखंड में आधे वयस्क (50.10 फीसद) किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते थे। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2016-17 की रिपोर्ट में यह घटकर 38.9 फीसद तो हुआ, लेकिन यह अभी भी राष्ट्रीय दर 28.6 से लगभग दस फीसद अधिक है।

राज्य में खैनी और गुटखा सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला तंबाकू उत्पाद है। 26.6 फीसद वयस्क खैनी का इस्तेमाल करते हैं और 8.3 फीसद वयस्क गुटखा का। राज्य में बीडी पीने वाले 5.2 फीसद से अधिक और सिगरेट पीनेवाले 6.5 फीसद से अधिक हैं। झारखंड में 59.7 फीसद पुरुष और 17 फीसद महिलाएं तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करती हैं। 2009-10 में हुए पिछले सर्वे में किसी न किसी रूप में तंबाकू का इस्तेमाल करनेवालों में 63.6 फीसद पुरुष तथा 35.9 फीसद महिलाएं थीं। शहरी क्षेत्रों में तंबाकू का सेवन करनेवाले पुरुषों का औसत 33 फीसद है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत 41 फीसद है।

डरिए इन आंकड़ों से

-देश में प्रतिदिन 5500 लोग तंबाकू सेवन शुरू करते हैं। इनमें बच्चे भी शामिल हैं।

-धूम्रपान करनेवाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 28 फीसद घट जाती है। फेफड़े के कैंसर का खतरा 20 से 25 गुना बढ़ जाता है।

-तंबाकू जनित बीमारियों के इलाज पर भारत में प्रति वर्ष एक लाख चार हजार 500 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।

क्या कर रही सरकार

-राज्य सरकार ने पान-मसाला के ट्विन पैक पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है।

-तंबाकू उत्पाद बेचनेवाले दुकानों में खाद्य उत्पाद नहीं बिकेगा।

-तंबाकू की खेती तथा बीड़ी के धंधे से जुड़े लोगों का कौशल विकास कर उन्हें दूसरे क्षेत्र के रोजगार से जोड़ा जाएगा।

-होटलों को लाइसेंस लेने समय इसका शपथपत्र देना होगा कि वे कोटपा कानून का अनुपालन करेंगे।

- बच्चों को तंबाकू के दुष्परिणामों से बचाने के लिए इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।


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