नागपुरी भाषा की डोर से बंधेगी बच्चों की सुरक्षा
मनोज कुमार सिंह, रांची : झारखंड में मानव तस्करी एक बड़ी समस्या है। इसको रोकने के लिए सरकार समय-समय पर
मनोज कुमार सिंह, रांची : झारखंड में मानव तस्करी एक बड़ी समस्या है। इसको रोकने के लिए सरकार समय-समय पर अभियान भी चलाती है। लेकिन इससे बचाए गए बच्चों के पुनर्वास में बड़ी समस्या आती है। जिन बच्चों के परिजन मिल जाते हैं उन्हें तो परिवार वालों को सौंप दिया जाता है। लेकिन जिनके माता-पिता नहीं होते हैं, ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार नई योजना बना रही है। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास व सामाजिक सुरक्षा विभाग ने एक मामले में हाई कोर्ट में शपथ दाखिल कर जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि झारखंड जुवेनाइल जस्टिस रूल-2017 का नागपुरी भाषा में अनुवाद किया गया है। ताकि आदिवासी बहुल इलाकों में इस नियम के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। इससे मानव तस्करी पर लगाम लगेगी और उन परिवारों को भी बढ़ावा मिलेगा जो उन बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए तैयार होंगे, जिन्हें मानव तस्करी से छुड़ाया गया है। साथ ही, इन बच्चों को परिवार वाले गोद ले सकें।
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गाइडलाइन का हुआ ¨हदी में अनुवाद :
बच्चों की सुरक्षा के लिए फॉस्टर केयर और स्पांसरशिप गाइड लाइन तैयार की गई है। इसकी लोगों तक ज्यादा से ज्यादा पहुंच हो सके। इसलिए इस योजना का ¨हदी में अनुवाद किया गया है। ¨हदी अनुवाद की स्वीकृति के लिए इसे कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा को भेजा गया है।
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फॉस्टर फेमिली की हो रही खोज :
झारखंड स्टेट चाइल्ड प्रोटेक्शन सोसाइटी ने सभी जिला बाल सुरक्षा अधिकारियों को फॉस्टर फेमिली को चिह्नित करने के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इसके बाद इन परिवारों की एक सूची तैयार की जाएगी। जिनको मानव तस्करी से बचाए गए बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
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यह है फॉस्टर फैमिली :
फॉस्टर फैमिली का मतलब है पालन-पोषण करने वाला परिवार। सरकार इस तरह की योजना बना रही है जिसमें उन परिवारों का शामिल किया गया है जो मानव तस्करी से छुड़ाए गए बच्चों का पालन-पोषण करें। इन परिवार वालों को प्रत्येक बच्चे के पालन-पोषण के लिए तीन साल तक प्रतिमाह दो हजार रुपये भी दिए जाएंगे।
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