हड़ताली कर्मचारियों से बीएयू प्रशासन की वार्ता विफल
पिछले कई दिनों से बीएयू के कर्मचारी विभिन्न् मांगों को लेकर हड़ताल पर है। मंगलवाकर को बीएयू प्रशासन और कर्मचारियों के बीच वार्ता एक बार फिर असफल हुई। कर्मचारियों ने मांगे मानी जाने तक हडताल जारी रखने का निर्णय लिया।
रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के हड़ताली शिक्षकेतर कर्मचारियों ने कुलपति के हड़ताल से वापस लौटने के आग्रह को ठुकरा दिया है। सोमवार को कुलपति की अध्यक्षता में देर शाम संघ से हुई वार्ता बेनतीजा रही। मंगलवार की दोपहर संघ के नेताओं ने कर्मचारियों के साथ बैठक की और कुलपति से हुई सभी पांच सूत्री मागों पर हुई वार्ता की बातों को बताया। बीएयू प्रशासन की ओर से रखी गई शर्तो और बातों को कर्मचारियों ने सिरे से खारिज कर दिया। कर्मचारियों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जब तक मांगे पूरी नहीं होती, हड़ताल जारी रहेगी।
संघ के अध्यक्ष अबु सईद ने कहा कि18 दिन से चली आ रही इस बेमियादी हड़ताल के दौरान पांच बार वार्ता हो चुकी हैं, पर हमें सिर्फ कोरा आश्वासन दिया जा रहा है। फरवरी 2017 से ही कुलपति कर्मचारियों की समस्याओं के निदान की बात करते रहे हैं, लेकिन 14 महीने के बाद भी कर्मचारियों की समस्याएं यथावत हैं और हमारी समस्याओं के निदान में कुलपति पूरी तरह विफल रहे हैं। बैठक को असफाक अहमद, सुभाष मित्रा, दिनेश टोप्पो, मो. कलमुददीन ने भी संबोधित किया और एकजुट होकर हक हासिल करने के लिए लंबी लड़ाई जारी रखने की बात कही। बताते चलें कि कर्मचारी बीते चार मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। महामंत्री ने की हड़ताल जारी रखने की घोषणा :
बैठक के अंत में संघ के महामंत्री मेघनाथ नाथ ने कुलपति का कर्मचारियों के साथ अपनाई जा रही ढुलमुल नीति पर नाराजगी जताई । उन्होंने कर्मचारियों के भावना के अनुरूप सभी पांच सूत्री मागें पूरी होने तक हड़ताल जारी रखने की घोषणा की।
मांगों पर नहीं हुई प्रगति
कर्मचारियों ने कहा कि कुलपति द्वारा राजभवन, कृषि मंत्री व सचिव, वित्त सचिव के समक्ष मागें रखने की बात कही गई। लेकिन, मागों पर कोई विशेष प्रगति नहीं दिख रही है। अनुकंपा आधारित नियुक्ति में शिक्षकेतर कर्मचारियों के अशिक्षित आश्रितों की उपेक्षा एवं अनदेखी की जा रही है। जबकि बिना प्रावधान के शिक्षकों के आश्रितों को अनुकंपा पर नियुक्त किया जा रहा है। अबु सईद ने कहा कि हड़ताल में शामिल सात सुरक्षा गार्डो का निलंबन अत्यंत अमानवीय और अलोकतात्रिक कारवाई है, इस आदेश को वापस लेने के संघ के आग्रह का निदेशक प्रशासन द्वारा उपहास करने का प्रयास गंभीर विषय है।