कुपोषण के खिलाफ झारखंड में बड़ा अभियान, एक्शन प्लान तैयार
झारखंड के 45.3 फीसद बच्चे औसत से छोटे कद के हैं। 47.8 फीसद कम वजन के हैं, जबकि 69.3 फीसद बच्चे खून की कमी की समस्या (एनीमिया) से जूझ रहे हैं।
विनोद श्रीवास्तव, रांची : पांच वर्ष से कम उम्र के झारखंड के 45.3 फीसद बच्चे औसत से छोटे कद के हैं। 47.8 फीसद कम वजन के हैं, जबकि 69.3 फीसद बच्चे खून की कमी की समस्या (एनीमिया) से जूझ रहे हैं। छह से 23 माह के बच्चों की बात करें तो स्थिति और भी भयावह है। इस उम्र के महज 7.20 फीसद बच्चों को ही उचित पोषाहार मिल पा रहा है। इससे इतर 15 से 49 आयु वर्ग की 65.2 फीसद महिलाएं खून की कमी की समस्या से जूझ रही है।
औसत बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) की बात करें तो इस आयु वर्ग की 31.5 फीसद महिलाएं बीएमआइ की मानकों पर खरा नहीं उतरतीं। नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-4 की रिपोर्ट कुपोषण से जूझते झारखंड की बानगी पेश करती है। बहरहाल सरकार ने इस स्थिति को चुनौती के रूप में लिया है और इससे निपटने के लिए बड़े अभियान का एक्शन प्लान तैयार किया है। पांच वर्षो (2018 से 2022) के अभियान में सरकार कुपोषण दूर करने के 15 इंडिकेटरों पर एक साथ वार करेगी। मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी के दिशानिर्देश के अनुरूप झारखंड राज्य पोषण मिशन ने कुपोषण मुक्त झारखंड की परिकल्पना की है, ठोस एक्शन प्लान भी तैयार किया है।
तय मसौदे के मुताबिक सरकार इस पांच वर्षो की अवधि के लिए एक एक्सपर्ट एजेंसी का चयन करेगी, जो हर वर्ष राज्य में कुपोषण की अद्यतन सर्वे रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। सरकार इस महाअभियान की शुरुआत इसी वित्तीय वर्ष में करेगी, जिसके तहत कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों के अलावा कुपोषित, विवाहित और गर्भवती महिलाओं की पहचान होगी।
पाठ्यक्रम में शामिल होगा पोषण :
एनएफएचएस -3 और 4 की रिपोर्ट पर गौर करें तो पिछले 10 वर्षों से कुपोषण से मुक्तिके लिए किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं। पोषण केइंडिकेटर पर मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। आखिर क्या वजह है कि इस क्षेत्र में अरबों खर्च करने के बावजूद हालात नहीं सुधर रहे, सरकार ने इसका वैज्ञानिक अध्ययन कराने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं चिकित्सकीय संस्थानों के स्नातकीय पाठ्यक्रम तथा प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में इससे संबंधित अद्यतन पाठ्यक्रम शामिल करने की रणनीति तैयार की है। स्वास्थ्य एवं स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के लिए यह पाठ्यक्रम पोषण मिशन तैयार करेगा।
शुरू होगी सुपोषण सभा :
कुपोषण से निपटने की कड़ी में सरकार ने हर महीने के पहले रविवार को पंचायत स्तर पर सुपोषण सभा के आयोजन का कार्यक्रम तय किया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत लातेहार और गुमला जिले से होगी। इसके बाद के दो महीने की अवधि में इसका विस्तार सभी जिलों में हो जाएगा। इस आयोजन के लिए सरकार संबंधित ग्राम पंचायतों को 1000 रुपये देगी। मुखिया के नेतृत्व में होने वाली इस सभा में गंभीर एवं मध्यम रूप से कुपोषित बच्चों तथा औसत बॉडी मास इंडेक्स में पिछड़ी 14 से 24 वर्ष की महिलाओं को चिह्नित किया जाएगा।