शराब आउट आफ स्टाक, कारोबारी तौबा करने के मूड में
अधिकांश दुकानों पर लटके ताले, शराब कंपनियों का बकाया 400 करोड़ तक पहुंचा, कर्मियों को भी वेतन नहीं, रांची में भी खत्म हो रहा भंडार, बीयर की सप्लाई बंद।
जागरण संवाददाता, रांची : स्टाक खत्म होने और शराब कारोबारियों को बकाये का भुगतान नहीं होने के कारण दुकानों पर ताले लटकने शुरू हो गए हैं। गुमला, खूंटी और सिमडेगा जिले में अधिकांश शराब दुकानों के शटर गिर चुके हैं। अन्य जिलों में भी स्टाक तेजी से गिर रहा है। अगर यही हाल रहा तो जल्द हीं राज्य में शराब की तमाम दुकानों में तालाबंदी हो जाएगी। नई उत्पाद नीति के तहत राज्य में शराब की 679 दुकानें खोली गई थी। इन दुकानों में लगभग 2300 कर्मचारी कार्यरत हैं। शराब कंपनियों का बकाया 400 करोड़ के पार पहुंच चुका है। शराब दुकानों में तैनात कर्मियों को दिसंबर, 2017 से वेतन नहीं मिला है।
अगर यही सिलसिला जारी रहा तो दोनों मैनपावर कंपनियां फ्रंटलाइन और सोमुख पलायन कर सकती है। संकट कर्मियों के वेतन भुगतान का है। बिवरेज कार्पोरेशन संग करार के मुताबिक दोनों कंपनियों को रिइंबर्समेंट मोड में भुगतान करना था। यानी कंपनियां पहले भुगतान करेगी और उस मद में सरकार से दावा करेगी लेकिन पांच माह से भुगतान बंद होने के कारण उनके समक्ष संकट पैदा हो गया है। यही स्थिति ब्रांडेड शराब कंपनियों की है। बताते हैं कि सिग्राम, ओसी ब्लू, किंगफिशर सरीखी नामचीन कंपनियों ने भी शराब आपूर्ति से हाथ खड़े कर दिए हैं।
राजस्व का भारी झटका : शराब दुकानों से रोजाना सरकार को लगभग पांच करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिलता है। लेकिन आपूर्ति कम होने के कारण यह लगातार गिर रहा है। फरवरी माह से राजस्व वसूली में गिरावट का सिलसिला तेज हुआ है। फिलहाल रोजाना की राजस्व वसूली साढ़े तीन से चार करोड़ के आसपास हीं हो रही है। यानी रोजाना एक से डेढ़ करोड़ रुपए के राजस्व का झटका सरकार को लग रहा है। बीयर की आपूर्ति पूरी तरह ठप होने से इसमें और इजाफा हो सकता है।
अवैध कारोबार पनपने का खतरा : सरकारी शराब दुकानों पर ताला लटकने के खतरे कम नहीं है। सबसे ज्यादा खतरा अवैध शराब कारोबारियों के सक्रिय होने का है। सुदूरवर्ती इलाकों में पंजाब और हरियाणा से प्रतिबंधित शराब की आवक का भी खतरा है। नकली शराब के कारोबारी भी सक्रिय हो सकते हैं। स्थिति नियंत्रित नहीं होने से इनका प्रभाव बढ़ सकता है। इस सिंडिकेट की वजह से बीते दिनों जहरीली शराब से कई मौतें हो चुकी हैं।
नई उत्पाद नीति के तहत वितरण : राज्य में एक अगस्त 2017 से नई उत्पाद नीति प्रभावित है। इसके तहत शराब दुकानों का संचालन पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में हो रहा है। इस नीति का उद्देश्य राज्य में शराबखोरी पर नियंत्रण करना था। इसके तहत दुकानों के खुले रहने का समय कम किया गया और दुकानों की संख्या कम होकर पूर्व के मुकाबले आधी रह गई।