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विश्व मलेरिया दिवस: मलेरिया है घातक, रहें सतर्क

मलेरिया है काफी घातक, बदलते मौसम में रहे सावधान, न पनपने दें आसपास मच्छर।

By Edited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 11:31 AM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 12:23 PM (IST)
विश्व मलेरिया दिवस: मलेरिया है घातक, रहें सतर्क
विश्व मलेरिया दिवस: मलेरिया है घातक, रहें सतर्क
जागरण संवाददाता, रांची : मलेरिया काफी घातक बीमारी है। यह कभी भी हो सकता है। लेकिन बदलते मौसम में मलेरिया संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। गर्मी और बरसात में मलेरिया के मच्छर ज्यादा पनपते हैं। राज्य में मलेरिया का प्रकोप अधिक है। कई क्षेत्र मलेरियल जोन में आते हैं। वहीं रांची जिले में बुंडू, तमाड़, अनगड़ा एवं सिल्ली क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप अधिक है। इसकी भयावहता को देखते हुए इटकी (रांची) में नेशनल इंस्टीच्यूट आफ मलेरिया रिसर्च खोला गया है। इसकी यूनिट रिम्स में भी कार्यरत है। रिम्स में हर माह लगभग तीन सौ मलेरिया पीड़ित लोग पहुंचते हैं। बरसात के दिनों में इसकी संख्या बढ़ जाती है। इससे बचाव के लिए विभाग द्वारा कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। विश्व मलेरिया दिवस पर इस संबंध में जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है। यह 25 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन मलेरिया दिवस मनाने का उद्देश्य मलेरिया जैसे रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी मानना है कि मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम चलाने से बहुत सी जानें बचाई जा सकती हैं। विश्व मलेरिया दिवस के दिन ही सर्व प्रथम मलेरिया के प्रति जागरूकता लाने और इस पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने की पहल की गई थी। विकासशील देशों में मलेरिया कई मरीजों के लिए मौत का कारण बनता रहा है। मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लोग जान गवां देते हैं। यह बीमारी प्रोटोजुअन प्लाज्मोडियम नामक कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलती है। ये मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैलाने का काम करते हैं। मलेरिया सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि वैश्रि्वक स्वास्थ्य समस्या है। हर साल मलेरिया के कारण विश्व में हो रही मौतों की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिए 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। मच्छर मलेरिया के रोगाणु का केवल वाहक है। रोगाणु मच्छर के शरीर में एक परजीवी की तरह फैलता है और मच्छर के काटने पर उसकी लार के साथ मनुष्य के शरीर में पहुंचता है। रोगाणु केवल एक कोषीय होता है जिसे प्लास्मोडियम कहा जाता है। मलेरिया का संक्रमण होने और बीमारी फैलने में रोगाणु की किस्म के आधार पर 7 से 40 दिन तक लग सकते हैं। शुरुआती दौर में सर्दी-जुखाम या पेट की गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इसके कुछ समय बाद सिर, शरीर और जोड़ों में दर्द, ठंड लग कर बुखार आना, नब्ज तेज हो जाना, उल्टी या पतला दस्त होने लगता है। लेकिन जब बुखार अचानक से बढ़ कर 3.4 घटे रहता है और अचानक उतर जाता है इसे मलेरिया की सबसे खतरनाक स्थिति मानी जाती है। कोट : रांची जिला में मलेरिया का बहुत प्रभाव नहीं है। वैसे इसके इलाज की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पतालों में है। डॉ. शिवशंकर हरिजन, सिविल सर्जन, रांची ।

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