झारखंड में गठबंधन की खुल सकती हैं गांठें, उपचुनाव में भाजपा व आजसू में टकराव के आसार
2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-आजसू गठबंधन के तहत सिल्ली से सुदेश महतो एनडीए उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे।
रांची, जेेएनएन। देश भर में टूटते बिखरते एनडीए के कुनबे के बीच झारखंड में भी इस गठबंधन में दरार आने के साफ संकेत दिखाई देने लगे हैं। वजह सिल्ली और गोमिया का उपचुनाव बन रहा है। भाजपा और उसके सहयोगी आजसू पार्टी में इन दोनों सीटों को लेकर कोई सहमति बनेगी इसे लेकर संशय है। 2014 के विधानसभा चुनाव में सिल्ली और गोमिया दोनों ही सीटों पर झामुमो ने जीत दर्ज की थी। कोर्ट से सजा पा चुके झामुमो के दोनों विधायकों की सदस्यता रद होने के कारण इन दोनों सीटों पर उपचुनाव की नौबत आई है।
सिल्ली और गोमिया उपचुनाव में आजसू के प्रत्याशी तकरीबन तय हैं। आजसू के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो स्वयं सिल्ली सीट से चुनाव लड़ेंगे, वहीं गोमिया को लेकर आजसू लंबोदर महतो पर दांव लगाने की तैयारी में हैं। लंबोदर ने गोमिया में चुनावी तैयारी भी शुरू कर दी है। आजसू पार्टी के महासचिव उमाकांत रजक ने दोनों सीटों से प्रत्याशी देने की अधिकृत घोषणा कर दी है। हालांकि, भाजपा की ओर से अभी तक इस संदर्भ में कोई अधिकृत बयान नहीं आया है। माना जा रहा है कि निकाय चुनाव के बाद भाजपा इस बारे में कोई निर्णय लेगी। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-आजसू गठबंधन के तहत सिल्ली से सुदेश महतो एनडीए उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े थे। उन्हें झामुमो के अमित कुमार ने बड़े अंतर से हराया था।
गठबंधन धर्म के तहत इस सीट पर आजसू का स्वाभाविक दावा बनता है। वहीं, गोमिया में झामुमो के योगेंद्र प्रसाद ने तीस हजार से अधिक वोटों से भाजपा के माधवलाल सिंह को हराया था। इस सीट पर भाजपा की स्वाभाविक दावेदारी बनती है। गोमिया में आजसू के प्रत्याशी उतारने की सुगबुगाहट से भाजपा खेमे में हलचल है और कुछ उसी तर्ज पर भाजपा के संभावित दावेदारों ने सिल्ली में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वहीं, गोमिया में भाजपा का दावा इस आधार पर बनता है कि 2014 में उसके उम्मीदवार यहां से दूसरे पायदान पर थे। गोमिया में माधवलाल सिंह के अलावा भाजपा से कुछ और दावेदार सक्रिय देखे जा रहे हैं।