रांची: आर्थिक सुधारों से बन रहा है उद्योगों के लिए सुखद माहौल
रांची में भी कई निवेशकों ने अपनी इच्छा जताई है। शहर में खाली जमीनों पर उद्योगों को बसाने के लिए सरकार विचार भी कर रही है ।
कभी झारखंड के लिए उद्योग और रोजगार का केंद्र रही राजधानी रांची में आर्थिक गतिविधियां और औद्योगिक गतिविधियां धीरे-धीरे कम होती गईं लेकिन एक बार फिर सुखद माहौल बनता दिख रहा है।
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मोमेंटम झारखंड के तहत आयोजित कार्यक्रम के बाद उद्योगों को लेकर सरकार की मंशा स्पष्ट हुई है, अब सैकड़ों की संख्या में एमओयू साइन हुए हैं। अब औद्योगिक माहौल बनाने की दिशा में कार्रवाई भी हुई है।
श्रम नीतियों में संशोधन और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में झारखंड का ऊपरी पायदान पर नाम इस बात का प्रमाण है कि सरकार के स्तर पर सकारात्मक प्रयास हो रहे हैं।
उद्योग के क्षेत्र में बेहतर परिणाम के लिए सरकार की सोच के इतर धरातल पर हालात कुछ विपरीत हैं। पड़ोसी राज्यों बिहार और बंगाल से विधि-व्यवस्था की स्थिति ठीक होने के बावजूद व्यावसायिक क्षेत्र में अधिक विकास नहीं होने के पीछे कहीं न कहीं प्रशासनिक विफलता कारण रही है।
हाल के कुछ वर्षों को छोड़ दें तो अलग राज्य बनने के बाद हालात बदलने के प्रयास कम ही हुए हैं। यही कारण है कि पिछले 18 वर्षों में कोई बड़ा उद्योग रांची में नहीं लगा है। औद्योगिक क्षेत्रों में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा।
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रांची के कोकर, तुपुदाना और टाटीसिल्वे में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए सीमित जगह होने के कारण नए व्यवसायियों को मौका नहीं मिल पा रहा।
व्यावसायिक गतिविधियां अपर बाजार में ही सर्वाधिक केंद्रित है जिसे बाहर निकालने की जरूरत है। कृषि बाजार समिति का एक बड़ा हिस्सा भी इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है और इसके लिए सुधारात्मक कार्यक्रम चलाने होंगे।
इन तमाम नकारात्मकता के बीच सरकार लगातार प्रयास भी कर रही है। मोमेंटम झारखंड इसी कड़ी में उठाया गया एक बड़ा कदम है। सरकार ने अब तक चार ग्राउंड ब्रेकिंग कार्यक्रम किए हैं और इनके माध्यम से दस हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश को धरातल पर उतारा है।
रांची में भी कई निवेशकों ने अपनी इच्छा जताई है। शहर के आसपास की खाली जमीनों पर उद्योगों को बसाने के लिए सरकार विचार भी कर रही है और कुछ कंपनियों को अवसर भी मिले हैं।
इसके माध्यम से सैकड़ों लोगों को रोजगार भी। सरकार के प्रयास सिर्फ बातों तक टिके हुए नहीं हैं। इसके लिए उचित माहौल भी तैयार किया जा रहा है। रांची में उद्योगों को लेकर स्थानीय स्तर पर कोई व्यापक विरोध भी देखने को नहीं मिला है।
युवाओं को प्रशिक्षण देकर सरकार प्राइवेट सेक्टर को एक सुनहरा मौका देना चाहती है कि उन्हें आसानी से कुशल लोग मिल जाएं। कुछ महीनों पूर्व रांची में एक साथ 30 हजार लोगों को रोजगार मुहैया कराकर सरकार ने अपनी मंशा सार्वजनिक भी कर दी थी। सभी रोजगार प्राइवेट सेक्टर में दूसरे राज्यों से पहुंचे निवेशकों के माध्यम से मिले थे।
श्रम सुधारों के तहत इंडस्ट्रियल एरिया में रात में भी महिलाओं को रोजगार मिलने का मार्ग प्रशस्त होने के बाद माहौल और बदलेगा। रांची के ग्रामीण इलाकों से बड़े पैमाने पर महिलाएं शहर में आकर रोजगार तलाशती हैं लेकिन सरकारी नियमों के कारण इन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा था।
सरकार रांची में अगर निवेश और माहौल को और बेहतर बनाना चाहती है तो औद्योगिक क्षेत्र के लिए अधिक जमीन की व्यवस्था करनी होगी।