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Migrant Workers: झाड़ू-पोछा करने वाली युवती ने कभी देखा नहीं था जहाज, आज चढ़कर आई रांची

Jharkhand.देश में पहली बार मुंबई से चार्टर्ड विमान से 174 प्रवासी मजदूर रांची लाए गए। यह फ्लाइट सुबह साढ़े आठ बजे रांची एयरपोर्ट पहुंची।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 09:46 AM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 11:03 PM (IST)
Migrant Workers: झाड़ू-पोछा करने वाली युवती ने कभी देखा नहीं था जहाज, आज चढ़कर आई रांची
Migrant Workers: झाड़ू-पोछा करने वाली युवती ने कभी देखा नहीं था जहाज, आज चढ़कर आई रांची

रांची, जासं। भारत में पहली बार। ऐतिहासिक। प्रवासी मजदूरों को चार्टर्ड विमान से मुंबई से रांची लाया गया। गुरुवार को रांची का बिरसा मुंडा एयरपोर्ट मजदूरों की चहलकदमी का गवाह बना। सुबह 8.30 बजे एयरपोर्ट के रनवे पर चार्टर्ड विमान की लैंडिंग हुई। कुछ देर बाद एक-एक कर प्रवासी मजदूर टर्मिनल के अंदर से फेसशील्ड पहने हुए बाहर निकले। कुल 174 प्रवासी मजदूर रांची पहुंचे। बीमार होने के कारण छह लोग यात्रा नहीं कर सके।

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दरअसल, मुंबई से हवाई सफर कर रांची पहुंचना प्रवासी मजदूरों के लिए एक सपने जैसा रहा। उन्होंने अपने जीवन में कल्पना भी नहीं की थी कि लॉकडाउन की बढ़ती मियाद उनके सपनों को पूरा करेगा, वह भी निश्शुल्क। इस सपने को पूरा करने में  नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु के पूर्व छात्रों की अहम भूमिका रही। उन्होंने करीब 12.50 लाख रुपये की मदद की। इसमें से 11 लाख रुपये फ्लाइट का किराया चुकाया गया। मदद करने वालों में कुल 80 लोगों का समूह शामिल रहा।

...और इस तरह एक सपने को किया साकार

आइआइटी मुंबई से तैयार की गई पृष्ठभूमि : झारखंड के लोगों को उनके घर पहुंचाने की पृष्ठभूमि आइआइटी बॉम्बे से तैयार की गई। यहां फंसे 45 लोगों को सबसे पहले राज्य भेजने का फैसला किया गया। आइआइटी में रहीं नेशनल लॉ स्कूल की एक पूर्व छात्रा ने इसके लिए अपने दोस्तों से मदद मांगी। इसके बाद इसे अभियान के रूप में चलाकर फंड एकत्र करने का फैसला किया गया। झारखंड सरकार ने इसमें सहयोग का भरोसा दिया। कहा कि अगर राज्य के प्रवासी मजदूर रांची एयरपोर्ट तक पहुंच जाते हैं तो उन्हें घर तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार करेगी। इसके बाद इस पहल को अंजाम तक पहुंचाया गया। इसमें मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार ने भी मदद की। विभिन्न संस्थाओं की मदद से फ्लाइट में आने वाले प्रवासी मजदूरों का डाटा तैयार किया गया। इसका वेरिफिकेशन भी किया गया। कई लोगों को अलग-अलग इलाकों से निकालकर मुंबई एयरपोर्ट लाने तक की व्यवस्था की गई। आखिरकार यह सपना साकार हुआ।

प्रवासी मजदूर बोले...पॉकेट में न पैसे थे और न ही घर वापसी के लिए कोई विकल्प

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि में उन्हें मुंबई में कई तरह की परेशानी हुई। पॉकेट में न तो पैसे थे और न ही घर वापसी के लिए कोई विकल्प। अधिकतर प्रवासी मजदूरों का कहना था कि चार्टर्ड विमान से रांची जाने के बारे में मित्रों से जानकारी मिली। पता चला कि मुंबई से रांची के लिए एक चार्टर्ड विमान जा रहा है, जिसमें सिर्फ प्रवासी मजदूर जाएंगे। हवाई यात्रा के लिए किराया भी नहीं देना होगा। फिर उन्होंने अपने मित्रों द्वारा उपलब्ध कराए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया और मुंबई से रांची लौटने का सपना साकार हुआ। यहां पहुंचने पर बसें उपलब्ध कराई गई थीं। एयरपोर्ट पर भोजन का पैकेट और पानी भी दिया गया।

मदद करने वालों में किसी राज्य विशेष के लोग नहीं बल्कि अलग-अलग राज्यों के लोग शामिल रहे हैं। शुरुआत में हम लोगों ने आइआइटी में फंसे मजदूरों के लिए फ्लाइट की व्यवस्था करने का फैसला किया था। बाद में इसे विस्तारित करते हुए अधिकतम लोगों को भेजने का निर्णय हुआ। इसके लिए नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु के 80 पूर्व छात्रों की ओर से करीब 12.50 लाख रुपये की राशि एकत्र की गई। झारखंड सरकार ने हमें आश्वासन दिया था कि वह एयरपोर्ट से मजदूरों को उनके घर तक भेजने की व्यवस्था करेंगे। यह भी बहुत बड़ा काम था। - एस मुखर्जी, पूर्व छात्र, नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु

डबडबाई आंखों से कहा- सब खुश रहें

कोरोना संकट काल में मजदूरों की जो तस्वीरें हमने देखी हैं, उसमें वे पैदल, साइकिल, ट्रक या ट्रेन से अपने घर लौटते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन जब गुरुवार की सुबह 8:45 बजे लगभग 174 मजदूर एयर एशिया के स्पेशल विमान से रांची एयरपोर्ट पर उतरे तो वहां मौजूद सभी के लिए वह यादगार पल बन गया। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मजदूर एक-एक कर एयरपोर्ट से बाहर निकल रहे थे। हर मजदूर को वहां मौजूद पत्रकार अपने कैमरे में कैद कर लेना चाह रहे थे।

पहली बार हवाई सफर कर मुंबई से आयी एक युवती को यह क्षण भावुक कर गया। उनसे पत्रकार तरह-तरह के सवाल पूछ रहे थे और वह हैरतभरी नजरों से सबको देख रही थी। बहुत कुरेदने पर उसने अपना नाम आरती देवी बताया। उसने बताया कि वह कोडरमा की रहने वाली है। वहां बर्तन मांज कर अपने परिवार का गुजारा करती थी लेकिन लॉकडाउन के बाद सब कुछ छिन गया। पास बचाए हुए कुछ रुपये थे तो काम चल रहा था। कुछ दिन पहले एक दीदी ने फोन कर उन्हें घर पहुंचाने की बात कही। आरती बताती हैं कि उसने हवाई जहाज पर चढ़ने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। डबडबाई आंखों से उसने बस इतना कहा कि- सब खुश रहें।

इधर, बुधवार को इंडिगो के तीन व एयर एशिया के एक विमान से दिल्ली व हैदराबाद से कुल 616 यात्री रांची पहुंचे और 181 यात्री रांची से दिल्ली व हैदराबाद के लिए उड़ान भरे। इंडिगो के विमान (6ई 421) से सुबह 9:48 बजे 205 यात्री दिल्ली से रांची पहुंचे और रांची-दिल्ली विमान (6ई 398) से 93 यात्री दिल्ली के लिए उड़ान भरे। दोपहर 2:59 बजे इंडिगो के विमान (6ई 981) से 93 यात्री हैदराबाद से रांची पहुंचे और रांची-हैदराबाद विमान (6ई 989) से अपराह्न 3:50 बजे 48 यात्री हैदराबाद के लिए उड़ान भरे। इसी प्रकार, एयर एशिया के विमान से शाम में 150 यात्री दिल्ली से रांची पहुंचे और रांची-दिल्ली विमान से मात्र 12 यात्री दिल्ली के लिए उड़ान भरे। इसके बाद शाम 7:21 बजे इंडिगो के दिल्ली-रांची विमान (6ई 535) से 168 यात्री रांची पहुंचे और रांची-दिल्ली विमान (6ई 6184) से रात 8:13 बजे 28 यात्री दिल्ली के लिए उड़ान भरे।


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