आदिम जनजाति आयोग बनाएगी सरकार
रांची : राज्य में आदिम जनजाति की स्थिति ठीक नहीं है। विकास योजनाओं का लाभ इन तक पूरी तरह नहीं पहुंच
रांची : राज्य में आदिम जनजाति की स्थिति ठीक नहीं है। विकास योजनाओं का लाभ इन तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाता है। प्रदेश में आदिम जनजाति की जनसंख्या भी लगातार कम होती जा रही है। इससे चिंतित राज्य सरकार ने स्थिति में सुधार लाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आदिम जनजाति आयोग का गठन करने का फैसला लिया है। इसके लिए जरूरी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस संबंध में जल्द कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद आयोग गठन की औपचारिकता पूरी की जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे आदिम जनजाति के लिए बनाई गई योजनाओं का क्रियान्वयन और बेहतर होगा और अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचेगा। आयोग इनके हितों की रक्षा के लिए काम करेगी।
कार्मिक प्रशासनिक व राजभाषा विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे के अनुसार मुख्यमंत्री आदिम जनजाति को सशक्त बनाने के लिए लगातार कदम उठा रहे हैं। आदिम जनजाति के दो प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव लाया गया था। जून में इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने सहमति प्रदान की थी। अनुसूचित जनजाति के लिए चिन्हित पदों में दो प्रतिशत आरक्षण मिलना शुरू हो गया है। इस फैसले से समुदाय के लोगों की सरकारी नौकरी में भागीदारी बढ़ी है। साल 2015 में आदिम जनजाति बटालियन का गठन भी सशक्तिकरण की दिशा में सार्थक पहल थी। इसके माध्यम से करीब एक हजार आदिम जनजाति युवा को नौकरी मिलेगी।
राज्य में नौ आदिम जनजाति
झारखंड में अनुसूचित जनजाति की 32 जातियां है। इनमें 9 जातियां आदिम जनजाति की श्रेणी में शामिल हैं। इनके नाम हैं बिरहोर, कोरबा, असुर, परहइया, बिरजिया, सौरिया पहाड़िया, माल पहाड़िया, कोरा और सावर। इनकी आबादी करीब 2.32 लाख के करीब है।