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लीड :: कल चमन था आज ये वीराना हुआ

रांची :कल चमन था आज ये वीराना हुआ, देखते ही देखते यह क्या हुआ. यह फिल्मी गाना बिरसा मुंडा फुटबॉल

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 07:49 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 07:49 PM (IST)

रांची :कल चमन था आज ये वीराना हुआ, देखते ही देखते यह क्या हुआ. यह फिल्मी गाना बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम पर एकदम सटीक बैठता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर का यह फुटबॉल स्टेडियम कभी सुबह से लेकर शाम तक गुलजार रहता था, लेकिन आज स्थिति यह है कि स्टेडियम वीरान सा हो गया है। दो माह पूर्व खुद राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने स्वयं संज्ञान लेते हुए स्टेडियम को जल्द दुरुस्त करने को कहा था, पर उसके बाद भी स्टेडियम का कायाकल्प नहीं हो पाया। वहीं चार महीने से साई के खिलाड़ी भी ठीक तरह से अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं।

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सुबह से शाम तक लगा रहता था जमघट

कुछ दिनों पहले तक शहर के बीचों बीच स्थित स्टेडियम में सुबह से शाम तक खिलाड़ियों और लोगों का जमघट लगा रहता था। सुबह होते ही बड़ी संख्या में मंत्री, नेतागण और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा नगर के प्रतिष्ठित लोग परिवार के साथ भ्रमण करने आते थे। इसके बाद भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के बच्चे वहां अभ्यास करते थे। लेकिन मैदान का उचित रखरखाव नहीं होने के कारण जहां मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी सुबह नहीं आ रहे हैं, वहीं साई के बच्चों का भी अभ्यास प्रभावित हो रहा है। बच्चे या तो स्टेडियम के बाहर अभ्यास करते हैं या फिर बड़ी-बड़ी घासों के बीच। अभ्यास सही तरीके से नहीं होने के कारण उनका प्रदर्शन भी प्रभावित हो रहा है।

खेल विभाग को करना है रखरखाव

साई के साथ खेल विभाग ने फुटबॉल व हॉकी स्टेडियम का तीस वर्षो का एमओयू किया है। इसके तहत स्टेडियम के रखरखाव की जिम्मेवारी खेल विभाग की है। लेकिन विभाग भी उदासीन रुख अपनाए हुए है।

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बिना किसी योजना के डाल दी गई मिंट्टी

स्टेडियम का स्तर सुधारने के लिए खेल विभाग ने ग्राउंड में मिंट्टी भरने तथा नई घास लगाने का निर्णय लिया था। इसकी जिम्मेवारी जिला परिषद को दी गई। बाद में मिंट्टी भरने के लिए विभाग द्वारा 20 लाख रुपये भी दिए गए। यहीं से पूरा मामला गड़बड़ाने लगा। बिना किसी योजना के स्टेडियम में मिंट्टी डाल दी गई। अच्छे ग्राउंड के लिए जरूरी मापदंड को दरकिनार कर बस खानापूर्ति भर की गई। ग्राउंड में मिंट्टी के साथ सही मात्रा में बालू नहीं डाला गया। बाद में विशेषज्ञों ने निरीक्षण के दौरान ग्राउंड के स्तर को नकार दिया। इसके बाद फिर से मैदान में मिंट्टी निकाल कर नए सिरे से तैयार करने का निर्णय लिया गया, लेकिन चार माह बीतने के बाद भी इस पर कुछ नहीं हुआ। बरसात के पूर्व मैदान में घास लगानी थी, लेकिन इसका टेंडर भी आज तक नहीं हुआ और ना ही स्टेडियम के ग्राउंड में मिंट्टी डाली गई। देखते-देखते चार माह बीत गए और स्टेडियम में डेढ़ से दो फीट तक की घास उग आई।

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राज्यपाल के निर्देश को किया नजरअंदाज

स्टेडियम की दुर्दशा की खबर सुबह भ्रमण के लिए आनेवाले लोगों से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू तक पहुंची। राज्यपाल ने मामले पर संज्ञान लेते हुए तत्कालीन विभागीय सचिव अविनाश कुमार को इसे जल्दी ठीक करने का निर्देश दिया। दूसरी ओर उसके बाद भी स्टेडियम का कार्य आगे नहीं बढ़ा।

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भारतीय कप्तान सुनील ने दुख जताया (22 आरसीएच एसपीओ दो)

भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने स्टेडियम की दुर्दशा पर दुख जताया है। पिछले शुक्रवार की सुबह सुनील छेत्री स्टेडियम पहुंचे। स्टेडियम की स्थिति को देखते हुए उन्होंने साई के बच्चों को बाहर बुलाया और खेल को लेकर अहमटिप्स दिए। इस मौके पर साई रांची के प्रभारी सुशील वर्मा भी थे। मैदान की स्थिति को देखकर सुनील ने कहा था कि जब तक आधारभूत संरचना दुरुस्त नहीं होगी, तब तक अच्छे खिलाड़ी नहीं निकलेंगे। उन्होंने कहा कि स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय स्तर का है, लेकिन अभी जो स्थिति है, उसमें अभ्यास करना भी खतरनाक है।

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कोट

स्टेडियम की हालत देखकर काफी दुख होता है। सरकार खेल के नाम पर करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन जहां साई सेंटर है, वहीं के खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए मैदान उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। मैदान के रखरखाव को छोड़कर सरकार स्टेडियम के अगल-बगल काफी कुछ निर्माण कर रही है। लेकिन स्टेडियम पर ध्यान नहीं दे रही है।

जय कुमार सिन्हा, महासचिव, झारखंड टेटे संघ

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स्टेडियम की दुर्दशा को देखकर काफी दुख होता है। राष्ट्रीय खेल के लिए इस स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया गया था। देश के विभिन्न राज्यों से आए खिलाड़ियों ने स्टेडियम की प्रशंसा की थी। लेकिन आज खेलने की बात तो छोड़िए, यह टहलने लायक भी नहीं है। सरकार की उदासीनता समझ से परे है।

एसएम हाशमी, महासचिव, झारखंड ओलंपिक संघ

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