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आरएमसी के विरुद्ध पीएजी लोकायुक्त की शरण में

प्रणव, रांची : प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने रांची नगर निगम (आरएमसी) में कचरा निष्पादन के नाम पर 34 क

By Edited By: Published: Wed, 29 Jul 2015 12:32 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2015 12:32 AM (IST)
आरएमसी के विरुद्ध पीएजी लोकायुक्त की शरण में

प्रणव, रांची : प्रधान महालेखाकार (पीएजी) ने रांची नगर निगम (आरएमसी) में कचरा निष्पादन के नाम पर 34 करोड़ के घोटाले की शिकायत लोकायुक्त से की है। संबंधित अंकेक्षण रिपोर्ट लोकायुक्त को सौंपी गई है। यह शायद पहला मामला है जब प्रधान महालेखाकार किसी मामले में लोकायुक्त के पास पहुंचे हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त जस्टिस अमरेश्वर सहाय ने नगर विकास सचिव से संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम मांगा है। लोकायुक्त ने इसे संगीन मामला करार दिया है। नाम मिलने के बाद उक्त लोगों के खिलाफ आगे की कार्रवाई होगी।

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कचरा ढुलाई में फर्जी 92 वाहनों का इस्तेमाल :

प्रधान महालेखाकार की रिपोर्ट में कचरा ढुलाई के गोरखधंधे का खुलासा हुआ है। अप्रैल 2011 से सितंबर 2013 तक 92 फर्जी वाहनों का उपयोग किया गया। इन वाहनों का जिला परिवहन कार्यालय से सत्यापन कराया गया। इसमें से 11 नंबर ऐसे पाए गए जो किसी वाहन के नहीं थे, यानी अस्तित्व में नहीं थे। बाकी नंबर स्कूटर, मोटरसाइकिल, ऑटो रिक्शा, कार और बस आदि के पाए गए। म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट के कुल 78 हजार 633 टन कचरे की ढुलाई में उक्त वाहनों के इस्तेमाल की बात कही गई थी। इसके लिए 23.54 करोड़ रुपये के कुल भुगतान के विरुद्ध 4.72 करोड़ का भुगतान गलत तरीके से किया गया। मामले में पीएजी ने निगम के अफसरों से जवाब तलब किया, लेकिन वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। पीएजी ने कहा कि मानवीय भूल एक बार हो सकती है, लेकिन निगम में इसे बार-बार दोहराया गया।

करार 2012 में और भुगतान 2011 से :

निगम के अफसरों ने कचरा ढुलाई करने वाली एजेंसी एटूजेड पर खूब मेहरबानी की। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टिपिंग शुल्क (कचरा ढोने में लगने वाला शुल्क) के तौर पर 23.95 करोड़ का भुगतान एजेंसी को किया गया। इस कंपनी से रांची नगर निगम ने एकरारनामा एक जनवरी 2012 को किया। जबकि इस एजेंसी को एक अप्रैल 2011 से ही भुगतान किया जा रहा था। बिना वाहन क्रय और प्रोविजनल कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त किए जुलाई 2012 तक एटूजेड को 80 फीसद भुगतान किया गया। उक्त भुगतान निगम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के आदेश से किया गया। पीएजी ने कहा कि यह सही नहीं था। इस कार्य में 3.82 करोड़ का एक और अनियमित भुगतान किया गया।

वाहन और मशीनरी खरीद में भी गड़बड़ी :

जांच में पाया गया कि निगम ने वाहन और मशीनरी की खरीद में भी गड़बड़ी की गई। खरीद संबंधी कागजात समर्पित किए बिना भुगतान किया गया। नए सिरे से निविदा कर कोटेशन प्राप्त करने की जगह उन फर्मो से वाहन और मशीनरी क्रय किए गए जिन्होंने अन्य परियोजनाओं में उपकरण आदि का सप्लाई किया था। इसमें 1.92 करोड़ रुपये की अनियमितता भुगतान में पायी गई।


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