वर्षा जल संरक्षण सबसे बड़ी जरूरत
रांची : प्रदेश का विकास गांव के रास्ते से होकर ही निकलता है। ग्रामीण आगे बढ़ेंगे तो ही प्रदेश का विकास संभव हो सकेगा। सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र की इंडस्ट्रीज और कंपनियों को उनके विकास के लिए आगे आना होगा।
समाज कल्याण और जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने शनिवार को पीएचडी चेंबर की ओर से 'झारखंड स्टेट मेटल्स एंड मिनरल्स फोरम' पर आयोजित सेमिनार में उक्त बातें कहीं। वे समारोह की मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने कहा, कंपनियों की सीएसआर गतिविधियां सिर्फ कागजों तक सीमित न रहे। झारखंड जैसे राज्य में वर्षा जल संरक्षण को बढ़ावा देने का काम हो। यह सबसे बड़ी जरूरत है। माइनिंग एंड जियोलॉजी विभाग के सचिव अरूण ने कहा, प्रकृति और लोगों के बीच जब तक तालमेल नहीं बैठेगा, तब तक विकास संभव नहीं है। इसलिए हमें ऐसे प्रोजेक्ट की जरूरत है जिसमें खर्चा कम हो, बाजार बड़ा हो और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन न के बराबर हो। लोगों को रोजगार मिले और उनका विकास हो।
सीएमपीडीआई के सीएमडी एके देवनाथ ने कहा, झारखंड में कोल मीथेन बेड, कोल माइन मीथेन और अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। यह नई तकनीक है। प्रकृति पर बोझ भी न के बराबर ही पडे़गा। सीएमपीडीआई इस क्षेत्र में कार्य कर रहा है। मेकॉन के इंजीनियरिंग निदेशक एस टोरका ने राज्य में मिनरल संबंधी इंडस्ट्रीज के विकास में आने वाली समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने स्पेशल माइनिंग जोन, फाइट लिंकेज कॉरीडोर को बढ़ावा देने की बात कही।
एनआर फेरो एल्लॉय के निदेशक पीके दत्तानी ने एमएसएमई इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में आने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्नत किस्म के कोयले की कमी आने वाले समय में सबसे बड़ी समस्या होगी। पीएचडी चेंबर के क्षेत्रीय निदेशक आरके शरण ने झारखंड में अवसर और सुविधाओं के बारे में बताया।