करोड़ों खर्च, सूखे हलक
दिलीप कुमार सिंह रामगढ़ करोड़ों खर्च के बाद भी दर्जनों गांवों के हलक सूखे हैं।
दिलीप कुमार सिंह, रामगढ़ :
करोड़ों खर्च के बाद भी दर्जनों गांवों के हलक सूखे हैं। दो साल पहले गोबरदरह-हुहवा जलापूर्ति का उद्घाटन भी हो गया। तीन महीने तक लोगों की प्यास भी बुझी। इसके बाद कागज पर ही यह योजना सिमट कर रह गई। करोड़ों रुपये खर्च हो गए, लेकिन ग्रामीण आज भी प्यासे हैं।
योजना से दर्जनभर गांवों में पाइप लाइन के सहारे पानी की आपूर्ति की जानी थी। इसके लिए दामोदर नदी के पट पर भारी भरकम राशि खर्च कर पीएचइडी विभाग की ओर से पंप हाउस का निर्माण किया गया। वहां से पानी को पाइप लाइन के सहारे कैथा चौक के समीप बनी पानी टंकी में स्टोरेज करना था। उसके बाद यहां से पानी की सप्लाई विभिन्न गांवों में होनी थी। निर्माण के बाद 2019 में उद्घाटन किया गया। ग्रामीण खुशी से चहक उठे। आपूर्ति हुई, मगर तीन माह तक। उसके बाद आस में लोग आज भी हैं। करोड़ों की लागत से बनाया गया पंप हाउस, टंकी, मोटर सहित अन्य मशीन बेकार हो रहे हैं। संचालित करने का कार्य संवेदक की देख- रेख में होता है।
ग्रामीणों का कहना है कि एक महत्वाकांक्षी योजना को मुकाम नहीं मिल पाया। जो पानी मिला वह नाम मात्र का। सिर्फ किचड़ ही मिला। यहां तक कि कैथा जो सबसे पास का गांव यानी की पहला गांव है वहां ही पूरी तरह पानी नही मिल पाया। विभागीय सूत्रों की माने तो उनका तर्क है कि पंप हाउस में जो फुटबॉल होता है वह किचड़ में फंस गया है। पानी का जलस्तर नीचे होने के कारण ऐसा हुआ है। उसे दुरुस्त किया जा रहा है।
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योजना के नाम के गांव में ही नहीं हुआ पानी कनेक्शन
गोबरदरहा-हुहुवा जलापूर्ति योजना का नाम से जो काम शुरू हुआ वह मुकाम तक अभी तक नही पहुंच पाया है। ताज्जुब है कि योजना के नाम के गांव गोबरदरहा में पानी का कनेक्शन ही नहीं किया जा सका है। कैथा के समीप बनी टंकी से अभी फोरलेन तक पाइप लाइन ही नही बिछाया गया है।
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इन गांवों को मिलना था पानी
नगर परिषद क्षेत्र के कैथा, कोठार, हुहुवा, गोबरदरहा, कांकेबार, मुर्राम कला, गोसा, चेटर आदि गांवों में गोबरदरहा-हुहुवा जलापूर्ति योजना के तहत पानी सप्लाई होनी थी। इसमें ऐसे कई गांव है जहां कुछ काम ही नही हुआ है।
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यह एक महत्वाकांक्षी योजना है। इससे कई गांव को पानी मिलनी थी। यह पूरी तरह से धरातल पर नही उतर पाई। समस्याएं आज भी यथावत बनी हुई है। विभाग के अधिकारी को बोलकर थक गए। न कोई जवाब न ही कोई विचार किया जा रहा है। ग्रामीण परेशान है। विभाग के अधिकारी तो फोन तक नही उठाते है।
-देवधारी महतो।
26 कैथा वार्ड पार्षद