Move to Jagran APP

पर्यटन स्थलों को संवारने का हो काम, तो मिलेगा रोजगार

दिलीप कुमार सिंह रामगढ़ जिले की आबोहवा अच्छी है और दूसरी प्रकृति की भरपूर कृपा ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 07:58 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 07:58 PM (IST)
पर्यटन स्थलों को संवारने का हो काम, तो मिलेगा रोजगार

दिलीप कुमार सिंह, रामगढ़ : जिले की आबोहवा अच्छी है और दूसरी प्रकृति की भरपूर कृपा दृष्टि होती है। तभी तो रामगढ़ की धरती पर हर वर्ष हजारों नहीं लाखों की संख्या में पर्यटकों का जमावड़ा लगता है। यहां आकर उन्हें सुकून मिलता है और मन को ताजगी मिलती है। जिले में पर्यटकों के लिए कई धरोहर हैं जो अपने आप में देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। जरूरत है ऐसे पर्यटन स्थलों पर सरकार से लेकर जिला प्रशासन की नजरें इनायत होना। अगर सरकार चाहे तो जिले की पहचान में और चार चांद लग सकता है। जरूरत है बेहतर सोच के साथ इन पर्यटन स्थलों को विकसित कर सुंदरीकरण करने की। ताकि यहां पर रोजगार के अवसर बन सके। पर्यटन स्थलों को विकसित कर दिया जाए तो यहां के लोग आत्मनिर्भर होंगे। रोजगार के लिए अन्य राज्यों की ओर पलायन भी नहीं करेंगे। अपने जिले में ही रोजगार के अवसर मिल जाएंगे। क्योंकि रामगढ़ जिला अपने नाम के अनुरुप ही विशेष है। यहां पर प्रकृति की अनुपम उपहार धरती पर देखने को मिलते है। यहां जो भी पर्यटक आते हैं यहीं के होकर रह जाते है। पवित्र नदियों और पहाड़, पर्वतों घिरा यह जिला हमेशा से पर्यटकों की पहली पसंद रही है। क्योंकि यहां एक से बढ़कर एक धरोहर है जो अपने अंदर कई इतिहास को समेटे हुए है। यहां पर अगर बात करें तो स्थापत्य कला का अछ्वुत नमूना कैथा प्राचीन शिव मंदिर है, जो रामगढ़ शहर से तीन किमी की दूरी पर स्थित है, मंदिर की स्थापना 1670 में पदमा राजा ने करवाया था। पदमा (हजारीबाग) के राजा दलेर सिंह ने अपनी राजधानी रामगढ़ स्थानांतरित किया था। यहां उन्होंने एक शिव मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर के नीचे गुफा है, जहां कैथेश्वरी मां की शक्ति विद्यमान है। इसी कारण इस शिव मंदिर का नाम कैथा शिव मंदिर पड़ा। यह मंदिर गोला रोड के एनएच 23 पर रामगढ़ शहर से तीन किलोमीटर की दूरी पर है। सन 1670 में बना यह शिव मंदिर स्थापत्य कला का अछ्वुत नमूना है। 348 वर्ष पुरानी मंदिर की बनावट मुगल, बंगाली, राजपूत शैलियों का मिश्रण है। मंदिर का निर्माण लखौरी ईंटों को सुर्खी, चूना, दाल के मिश्रण की जुड़ाई से बनाया गया है। दो मंजिलें मंदिर में ऊपर जाने और नीचे उतरने के लिए दो सीढि़यां बनी हैं। सीढि़यों के बगल में बेलनाकार गुंबज है, संभवता इस पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते होंगे। मंदिर के पहले तल्ले पर शिवलिग स्थापित है। शिवलिग के ठीक ऊपर वाले गुंबज में बरसात का जल एकत्रित होता था और ठीक शिवलिग पर बूंद-बूंद कर गिरता था। अब जल गिरना बंद हो गया है। मंदिर के ऊपरी गुंबज के ठीक बीच में बजरंगबली की मूर्ति स्थापित है, जो मंदिर के निर्माण के समय की बताई जाती है। मंदिर को भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर भी घोषित किया है। मंदिर पर्यटक स्थल बनाने के लिए पहल इमानदारी से नहीं हो सकी। यहां पर मंदिर का जिर्णोद्धार होता तो पर्यटक और आते। लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान होते। इससे इतर सरकार के स्तर से किसी प्रकार की कोशिश नहीं की गई। वैसे ही विश्व विख्यात रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिका शक्ति पीठ मंदिर जो अपने आप में आस्था का केंद्र है। यहां पर रोजगार के इतने अवसर हैं कि जिले के लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिल जाएगा। यहां पर पर्यटकों सहित भक्तों की संख्या लाखों में होती है। इसे भी विकसित करने में आनाकानी किया गया। वैसे ही गोला में बौद्ध मठ, टूटी झरना मंदिर, वनजारी मंदिर, मां महामाया टूंगरी मंदिर, पतरातू लेक रिसोर्ट, पतरातू घाटी, फिल्म सिटी आदि अपनी ख्याती बटोरे हुए है। इन धरोहरों को कर्मठता के साथ पूरी तन्मयता से सुंदरीकरण किया जाए तो शायद यहां के लोगों को किसी अन्य राज्य में रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। सभी लोग आत्मनिर्भर होकर मजबूत बन पाएंगे। बस इमानदारी के साथ इन धरोहरों को समेटते हुए बेहतर करने की ईमानदार कोशिश होनी चाहिए।

loksabha election banner

---------

फोटो : 29

जिला में जो पर्यटन विभाग को लेकर बैठक होती हैं उसमें भी लगातार पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए बातों को रखा गया है। वैसे सुंदरीकरण का कार्य भी किया गया है। जिला प्रशासन की ओर से भी काम हो रहा है। हां यह तय है कि जिले में स्थित पर्यटन स्थलों को अगर विकसित किया जाए तो यहां पर रोजगार की असीम संभावनाएं होगी। यहां के लोग रोजगार के लिए अन्य राज्यों का रूख नहीं करेंगे। अपने घरों पर ही रहकर बेहतर काम कर सकेंगे। पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने के लिए जिला परिषद की ओर से भी प्रयास किया जा रहा है। बैठकों में इस मसले को और मजबूती के साथ उठाउंगा। -ब्रह्मदेव महतो

अध्यक्ष, जिला परिषद, रामगढ़।

-------

फोटो : 30

नगर परिषद क्षेत्र में आने वाले एतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया गया है। नप की बैठकों में इस बात को लेकर चर्चा जोरशोर से हुई है। जिले में जो भी एतिहासिक धरोहर हैं उसे डेवलप किया जाएगा ताकि यहां के लोगों को ज्यादा संख्या में रोजगार मिल सके। अपने घरों में रहकर काम करेंगे और अपनों का साथ भी मिलेगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास जारी है। ताकि यहां के लोग रोजगार पाकर आत्मनिर्भर हो सके। कैथा प्राचीन शिव मंदिर, मां महामाया टूंगरी मंदिर, वनजारी मंदिर सहित जो भी धरोहर और आस्था का केंद्र हैं उसे डेवलप किया जाएगा।

-युगेश बेदिया

अध्यक्ष, नगर परिषद, रामगढ़ ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.