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एक ही बरसात में दरक गया भुइयांडीह तालाब का आउटलेट

वेस्ट बोकारो (रामगढ़): अकेले पीएम मोदी के ईमानदार होने से देश का कल्याण नहीं होने वाल

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 06:29 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 06:29 PM (IST)
एक ही बरसात में दरक गया भुइयांडीह तालाब का आउटलेट
एक ही बरसात में दरक गया भुइयांडीह तालाब का आउटलेट

वेस्ट बोकारो (रामगढ़): अकेले पीएम मोदी के ईमानदार होने से देश का कल्याण नहीं होने वाला है। सरकार की नीति कितनी ही उदारवाद या ईमानदार क्यों न हो प्रशासनिक अधिकारी जब तक ईमानदार नहीं होंगे देश का विकास नहीं हा सकेगा। भ्रष्टाचार का ही नतीजा है कि सरकार की योजनाएं एक बरसात में ही दरक जा रही हैं। इसकी बानगी है रामगढ़ जिले की मांडू प्रखंड अंतर्गत बड़गांव पंचायत के भुईंयांडीह गांव में बने भुइयांडीह में बने तालाब का लाउटलेट। इस गांव का दसवा गढ़ा तालाब है, जिसका गहरीकरण और इनलेट व आउटलेट का काम झारखंड सरकार के पशुपालन सहकारिता विभाग झारखंड रांची, राइस फैलो/बंजर भूमि विकास योजना के अंतर्गत तालाब के गहरीकरण/जीर्णोद्धार योजना संख्या 6/17-18, भूमि संरक्षण ह•ारीबाग द्वारा किया गया है। इसकी प्राक्कलित राशि लगभग 23 लाख रुपये थी। इस योजना के कनीय अभियंता राम उरांव, अध्यक्ष सुरेश करमाली, सचिव रंजीत करमाली के द्वारा किया गया था। इस तालाब में जिस तरह से कार्य हुआ है उससे लोगों की उपयोगिता ही ़खत्म हो गई है। साथ ही पिछले सप्ताह हुई बारिश में तालाब के जल निकासी मार्ग यानी आउटलेट दरक गया है। इस आउटलेट की गुणवत्ता को इसी से जांची जा सकती है कि यह आउटलेट एक बरसात भी नहीं झेल पाया। तालाब तक पहुंचना जान जोखिम में डालने जैसा कदम

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अब स्थिति यह है कि तालाब तक जाने की हिम्मत जुटाना भी मुश्किल है। किसी तरह से तालाब से पानी ले लिया तो ऊपर आना जान को दाव पर लगाने जैसा है। दरअसल इस तालाब के गहरीकरण और जीर्णोद्धर के पीछे सरकार की मंशा उसके नाम से ही दिखती है। यानि राइस फैलो/बंजर भूमि विकास योजना। लेकिन भ्रष्टतंत्र ने योजना को सफल होने से पहले ही विफल कर दिया। रखते हैं मोबाइल बंद

इस संदर्भ में कनीय अभियंता राम उरांव से व अध्यक्ष सुरेश करमाली से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल बंद मिला। इस संदर्भ में गांव का कोई व्यक्ति कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है, गांव का एक युवक भोला करमाली ने बताया कि कार्य पूरी तरह से गुणवत्ताविहीन हुआ है। पहले गांव के लोग नहाने, धोने और मवेशियों के पीने के इस्तेमाल में आता था। मगर जिस तरह से इनलेट (तालाब में पानी आने का मार्ग) बनाया गया है या आउटलेट बना है उसका कोई उपयोग नहीं है। बस गहरीकरण और जीर्णोद्धार के नाम पर थूक पोलिश कर दी गई है, हमने टोका तो सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगा कर केस करने की धमकी दी गई थी, तब से कोई नहीं बोलना चाहता।


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