किसानों को टिड्डी नियंत्रण के उपायों के प्रति करें जागरूक : डीडीसी
देश के अन्य राज्यों में फसलों पर हुए मरुस्थलीय टिड्डी दल के हमले।
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : देश के अन्य राज्यों में फसलों पर हुए मरुस्थलीय टिड्डी दल के हमले को देखते हुए रामगढ़ जिले में भी इससे बचाव को लेकर कवायद शुरू कर दी गई है। गुरुवार को डीसी कार्यालय के सभागार में डीडीसी ने जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण दल में शामिल अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में डीडीसी ने बताया कि जिले में मरूस्थलीय टिड्डियों के आक्रमण से निपटने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि यहां के किसानों को इन मरूस्थलीय टिड्डियों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाने से पूर्व बचाव के लिए जागरूक किया जाए। उन्होंने जिले में टिड्डियों के खेतों तक पहुंचने से पूर्व तैयारी के लिए पर्याप्त मात्रा में रसायनिक कीटनाशकों के भंडारण और पर्याप्त मात्रा में इन रसायनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने किसानों को टिड्डी दल से फसलों के नुकसान और उससे बचाव के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया। डीडीसी ने जिले में पिकअप वैन, छोटे ट्रक, ट्रैक्टर आदि को टैग करने का भी निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने इन टिड्डियों के नियंत्रण में उपयोगी हाईस्पीड लोवॉल्यूम स्प्रेयर, पावर स्प्रेयर, गटोर स्प्रेयर, नैप सैक स्प्रेयर, वाहन पर प्रतिष्ठापित किए जाने वाले स्प्रेयर आदि की उपलब्धता की जानकारी ली। साथ ही संबंधित पदाधिकारियों को इन स्प्रेयर के विक्रेताओं और किसानों से संपर्क कर समन्वय बनाए रखने का निर्देश दिया, ताकि आवश्यकता पड़ने पर इनकी मदद ली जा सके।
बैठक के दौरान उप विकास आयुक्त ने जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण कार्यदल के सदस्यों को जिले के अग्निशमन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर लागातार उनके संपर्क में रहने का निदेश दिया ताकि आवशयकता पड़ने पर टिड्डी दर पर दवा का त्वरित छिड़काव किया जा सके।
बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने टिड्डियों के फसलों को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में पारंपरिक उपायों को साझा करते हुए बताया कि धुंआ करके तथा ढ़ोल, नगाड़े, बर्तन आदि पीट कर उनके शोर से इन कीटों को भगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि धुंआ करने के लिए किसानों को अपने खाली खेत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सूखे खरपतवार और सूखे पौधों के ढे़र तैयार रखना होगा ताकि टिड्डि़यों के हमले की स्थिति में इन ढे़रों में आग लगाकर धुंआ उत्पन्न किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि झुंड में रहने वाली मरूस्थलीय टिड्डियां एक किलोमीटर के दायरे में करोड़ों की संख्या में पाई जाती है। जो खेतों को काफी नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इसलिए किसानों को इन मरूस्थलीय टिड्डियों के आक्रमण से अपने फसलों को बचाने के लिए निरंतर अपने खेतों की निगरानी करना अति आवश्यक है।
बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी, ह•ारीबा़ग व रामगढ़ संजय कुमार, जिला उद्यान पदाधिकारी हजारीबाग व रामगढ़ रवीश चंद्रा, जिला जंसमपर्क पदाधिकारी रजनी रेजिना इंदवार, कृषि वैज्ञानिक डॉ. दुष्यंत राघव, जिला अग्निशमन पदाधिकारी बुद्धनाथ उरांव, उप परियोजना निदेशक चंद्रमौलि एवं सहायक जनसंपर्क पदाशिकारी शशांक शेखर मिश्र उपस्थित थे।