11 साल में भी नहीं बन पाया जिला का एकमात्र इनडोर स्टेडियम
दिलीप कुमार ¨सह, रामगढ़ : नौनिहालों व प्रतिभावान खिलाड़ियों को तरासने से लेकर बेहतर मंच देने के लिए सरकार निरंतर कोशिश कर रही है। इसके बाद भी प्रतिभावान खिलाड़ी इनडोर गेम से अपना मूंह मोड रहे है। क्योंकि रामगढ़ को जिला बने 11 साल हो गए, लेकिन यहां के प्रतिभावान खिलाड़ियों को एक अदद इनडोर स्टेडियम तक नसीब नहीं पाया है। बाजार टांड में बन रहे अर्धनिर्मित इनडोर स्टेडियम वर्षों से सफेद हाथी बनकर खड़ा है। यह खिलाड़ियों को मूंह चिढ़ा रहा है। इसे विभागीय उदासीनता कहें या अधिकारियों के इच्छाशक्ति का अभाव। करोड़ों रुपये की लागत से बन रहा यह महत्वकांक्षी इनडोर स्टेडियम शुरूआती दौर से ही विवादों में घिरा रहा है। निर्माण काल से ही विवादों का ग्रहण स्टेडियम पर लगा हुआ है। इसलिए आज तक यह स्टेडियम बनकर तैयार नहीं हो पाया है। यह स्टेडिय
रामगढ़ : नौनिहालों व प्रतिभावान खिलाड़ियों को तरासने से लेकर बेहतर मंच देने के लिए सरकार निरंतर कोशिश कर रही है। इसके बाद भी प्रतिभावान खिलाड़ी इनडोर गेम से अपना मूंह मोड रहे है। क्योंकि रामगढ़ को जिला बने 11 साल हो गए, लेकिन यहां के प्रतिभावान खिलाड़ियों को एक अदद इनडोर स्टेडियम तक नसीब नहीं पाया है। बाजार टांड में बन रहे अर्धनिर्मित इनडोर स्टेडियम वर्षों से सफेद हाथी बनकर खड़ा है। यह खिलाड़ियों को मूंह चिढ़ा रहा है। इसे विभागीय उदासीनता कहें या अधिकारियों के इच्छाशक्ति का अभाव। करोड़ों रुपये की लागत से बन रहा यह महत्वकांक्षी इनडोर स्टेडियम शुरूआती दौर से ही विवादों में घिरा रहा है। निर्माण काल से ही विवादों का ग्रहण स्टेडियम पर लगा हुआ है। इसलिए आज तक यह स्टेडियम बनकर तैयार नहीं हो पाया है। यह स्टेडियम मैदान के बाहर खिलाड़ियों को सफेद हाथी की तरह सिर्फ आकार दिखाकर मूंह चिढ़ा रहा है। स्टेडियम निर्माण होने की बात से ही जिला के खिलाड़ियों में आस जगी थी कि अब उन्हें खेल के लिए तैयारी करने को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। यहां पर हर वर्ग के खिलाड़ी को आसानी से स्टेडियम में खेलने का मौका मिल जाएगा। यह सोच धरातल पर नहीं उतर सकी। स्टेडियम निर्माण कार्य तो धूम धड़ाके के साथ शुरू हुआ, लेकिन इसके बाद से ही विवादों की बदरी लगातार छाने लगी। देखते ही देखते 11 वर्ष बीत गए। स्टेडियम कचरों के अंबार के बीच अपने उद्धार की बाट जोह रहा है। निर्माणधीन स्टेडियम की बदहाली ने खिलाड़ियों को मायूसी की ओर धकेल दिया है। स्टेडियम बनाने का काम ग्रामीण कार्य विभाग ने शुरू किया था। इसका जिम्मा विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता यादवेंद्र ¨सह चौहान को सौंपा गया था। कार्य में काफी अनियमितता बरते जाने के बाद कार्रवाई भी हुई। एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा जांच कर प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई। मामला बढ़ता देख राज्य सरकार ने भी संज्ञान लेते हुए कार्यपालक अभियंता को बर्खास्त कर दिया। वहीं काम बंद होने के बाद स्टेडियम के चारों ओर कचरों व गंदगी का अंबार लगा हुआ है। परिसर खुला होने के कारण वहां लोग शौच करने जाते है। इसमें लगे सामान भी चोरी होने लगे है। पाइप आदि को तोड़ दिया गया है। जिला व खिलाड़ियों के लिए यह मिसाल बनने वाला इनडोर स्टेडियम आज उन्हें मायूस कर रहा है। अब तो यही इंतजार हैं कि कब स्टेडियम के दिन बहुरेंगे।
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करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बन रहा स्टेडियम
इनडोर स्टेडियम को बेहतर रूप देने के लिए बाजार टांड स्थित सिद्धो-कान्हो मैदान के एक भाग को चिन्हित किया गया। स्टेडियम बनाने के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत रखी गई। स्टेडियम के निर्माण में राशि को अंधधुंध बहाया । परिणाम सिफर ही रहा। कई ठेकेदार तो काम छोड़कर चलते बने। वर्तमान में कुछ काम शुरू किया गया था। कई बेहतर खिलाड़ी जो इनडोर स्टेडियम में बैड¨मटर, लॉन टेनिस, टेबल टेनिस, कराटे, वुशू आदि खेलने का सपना संजोए हुए थे। उन्हें मायूसी ही हाथ लगी है।
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यह स्टेडियम जिला के लिए शान होता। समय से अगर इनडोर स्टेडियम का निर्माण पूरा हो जाता तो शायद कई खिलाड़ी आज राज्य व देश स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके होते। स्टेडियम का निर्माण नही होना बहुत ही ¨चता का विषय है।
-अरुण कुमार राय
जिला क्रिकेट संघ, मानद सचिव
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इनडोर स्टेडियम के नहीं बनने से छोटे व बड़े बच्चों को जिले के कई मैदानों में खुले में प्रशिक्षण देना पड़ता है। यह आने वाले समय के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इनडोर स्टेडियम के नहीं होने से कई खिलाड़ी अपने उम्र को पार कर चुके है। यह अफसोसजनक है।
-शशि पांडेय
शोतोकान कराटे डू फेडरेशन, जिला प्रशिक्षक