प्राकृतिक संसाधनों को खत्म करने की साजिश : हेमंत
गिद्दी (रामगढ़) : आदिवासी प्रकृति के पूजारी है। आदिवासियों का मंदिर-मस्जिद जल, जंगल व जमीन
गिद्दी (रामगढ़) : आदिवासी प्रकृति के पूजारी है। आदिवासियों का मंदिर-मस्जिद जल, जंगल व जमीन है। यह बातें रविवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह प्रतिपक्ष नेता हेमंत सोरेन ने सतकड़िया में आयोजित सरहुल महोत्सव को संबोधित करते हुए कही। सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज युगो से सरहुल पर्व मनाते आ रहे है। प्रकृति पर माइ¨नग, सड़क, उद्योग व विकास के नाम पर तेजी से हमला हो रही है। वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रहार प्रकृति संसाधनों पर हो रही है। हमे प्रकृति को बचाने के लिए और सजग रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गांव से शहर पैदा हुआ है। शहर में सारी सुविधाएं नजर पड़ती है। शहरों में प्रतिदिन लड़कियों के साथ बदसलूकी, बलात्कार, चोरी-डकैती व हत्या की घटना घट रही है। गांवों में यह देखने को नहीं मिलता है। साथ ही शहरों की अपेक्षा गांवों में साफ-सफाई ज्यादा रहती है। उन्होंने कहा कि गांवों को ओर सुंदर बनाने की जरूरत है।
सरहुल संस्कृति की पहचान : पटेल
मांडू विधायक जय प्रकाश भाई पटेल ने क कहा कि सरहुल झारखंड की सांस्कृति पहचान से जुड़ा पर्व है। इसे बचाए रखने की जरूरत है। झामुमो जिलाध्यक्ष विनोद किस्कू ने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति के उपासक है। हमारी नदियां, झरने, पेड़ सब हमारे देव हैं। इसके पूर्व हेमंत सोरेन ने सरना स्थल पर पूजा-अर्चना की। जबकि पाहन नयाराम मांझी ने फुलखोसी किया। साथ ही हेमंत सोरेन ने अखरा में मांदर बजाकर मांदर की थाप पर थिरके। वहीं सरहुल महापर्व सतड़िया समिति के सदस्यों ने हेमंत सोरेन का स्वागत बड़ा माला पहनाकर किया। इस दौरान कई ग्रुप के सदस्यों ने झूमर नृत्य प्रस्तुत किया। उधर सुबह में पाहन नयाराम मांझी, गोड़ाइत रैना मांझी, परानिक नामनरायण मांझी ने सरना स्थल पर विधि-विधान से पूजा अर्चना कर सरई-महुआ का फूल चढ़ाया। समारोह का अध्यक्षता राजेश टुडू व संचालन नरेश हांसदा व विश्राम मांझी ने संयुक्त रूप से किया।
मौके पर केंद्रीय सदस्य राकेश ¨सह उर्फ कबलू भुनेश्वर महतो उर्फ भुन्नु, जिप सदस्य लखन लाल महतो, पीओ उमेश शर्मा, संजीव बेदिया, मिथिलेश ¨सह, सैनाथ गंझू, कुमेश्वर महतो, आरडी मांझी, सोहराई किस्कू, मुखिया अनिता देवी, पार्वती देवी, नंदकुमार महतो, कार्तिक मांझी, अनन्या मुखर्जी, नमिता देवी, गीता देवी, पतिलाल मरांडी, प्रीतलाल महतो, सुखलाल मांझी आदि मौजूद थे। समारोह को सफल बनाने वालों में राजेश टुडू, शिवजी बेसरा, ललन बेसरा, बबलू सोरेन, लालदेव सोरेन, कालीदास मांझी,बोबिका मांझी, सिद्धेश्वर मांझी, शिवकुमार बेसरा, राजेश सोरेन, तालेश्वर मरांडी, राजेश मुर्मू आदि शामिल थे।
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सतकड़िया के अस्तित्व रहेगा या नहीं बड़ा सवाल
प्रतिपक्ष नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि जिस स्थान पर सरहुल महोत्सव मनाया जा रहा है। साल भर के बाद सतकड़िया का अस्तित्व रहेगा कि नहीं, यह एक बड़ी सवाल है। सतकड़िया गांव को बड़ी मुश्किल से बसाया गया था अब कोलियरी को बढ़ाने के नाम पर उजाड़ा जा रहा है।