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दहेज व बाल विवाह अपराध है, परंपरा नहीं

वेस्ट बोकारो (रामगढ़) : वेस्ट बोकारो के केदला दक्षिणी के दुनी गांव में रविवार को सहिया

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Apr 2018 09:59 PM (IST)Updated: Sun, 22 Apr 2018 09:59 PM (IST)
दहेज व बाल विवाह अपराध है, परंपरा नहीं

वेस्ट बोकारो (रामगढ़) : वेस्ट बोकारो के केदला दक्षिणी के दुनी गांव में रविवार को सहिया बहनों के द्वारा सामुदायिक बैठक में सहभागी सीख एवं क्रियान्वयन पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करत हुए मुख्य अतिथि निर्मल करमाली ने कहा कि अब पुरानी और रुढि़वादी परांपरा जैसे बाल विवाह, ओझा-गुणी, बेटियों और बेटे में फर्क, गर्भवती बेटियों या बहुओं का घर में ही डिलेवरी आदि बाते भूल जाएं। यह परंपरा नहीं बल्कि अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने बाल विवाह से होने वाले दुष्परिणाम को विस्तार से बताते हुए कहा कि सरकार अब देश के हर पंचायत और वार्ड में एएनएम, सहिया और आंगनबाडी की व्यवस्था आपके स्वास्थ्य और सुविधा के लिए कर रखा है। आप अपने बेटी या बेटों का विवाह सरकार व कानून द्वारा निर्धारित आयु के बाद ही करें। उन्होंने बताया कि कैसे किसी भी बीमारी या बहू-बेटियों के गर्भाधारण के बाद अपने निकटम आंगबाड़ी अथवा सहिया से नियमित सलाह ले सकती हैं। इसके पूर्व मुख्य अतिथि सह पंचायत के मुखिया निर्मल करमाली, पंसस नीलम देवी, बीटीटी परमेश्वर ठाकुर, एएनएम सविता देवी, मोहरा महतो, प्रेम कुमार महतो, कन्हैया कुमार ठाकुर, कामदेव महतो आदि ने संयुक्त रुप से दीप जला कर इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। इसके बाद सरकार की योजनाओं और समाज में व्याप्त कुरीतियों पर नाटक मंचन कर क्षेत्र की महिलाओं को जागरूक करने का प्रयत्न किया गया। इसके बाद क्षेत्र की युवतियों और सहिया आदि ने आपस में घोड़ा खेल के माध्यम से सरकार और जनता के बीच सामंजस्य कर चलने वाले देश और राज्य के योजनाओं और कुरुतियों को बताया। वहीं लकड़ी का खेल तथा बाल विवाह आदि पर नाटकों का मंचन कर लोगों में जागरुकता लाई गई। बीच-बीच में रोचकता लाने के लिए पंचायत की छात्राओं और कुछ छात्रों द्वारा गीत-संगीत और नृत्य का भी आयोजन होता रहा। बाल विवाह और दहेज जैसे कुरीतियों को दर्शाता नाटक का मंचन गांव के ही महिलाओं ने जागरुकता का संदेश देने का प्रयास किया। जिसमें रीता देवी ने बधु, मीना देवी ने वर, क्रांति देवी व सोनी देवी ने बधु के माता पिता, सुमित्रा देवी व ¨चतामणी देवी ने वर के माता पिता, रबिता देवी ने पंडित सरस्वती देवी ने ओझा की भूमिका निभाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीटीटी परमेश्वर ठाकुर व संचालन सहिया शांति देवी ने किया। इसके बाद नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाली महिलाओं और युवतियों को पुरस्कृत भी किया गया।

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