Lok Sabha Polls 2019: दशकों पुरानी रेलवे फाटक की मांग के पूरा होने का इंतजार
Lok Sabha Polls 2019. धनबाद रेल मंडल स्थित पलामू संसदीय क्षेत्र के लालगढ़ बिहार पंजरी कला तोलरा गुरहा व घघूवा रेल पार पथ पर रेलवे फाटक का नहीं होना बड़ा मुद्दा है।
विश्रामपुर (पलामू), [रघुवीर]। धनबाद रेल मंडल के अंतर्गत पलामू संसदीय क्षेत्र के लालगढ़ बिहार, पंजरी कला, तोलरा, गुरहा व घघूवा रेल पार पथ पर रेलवे फाटक का नहीं होना बड़ा मुद्दा है। छह दशक से रेलवे क्रॉसिंग पर मानवसहित रेल फाटक लगाने की मांग की जा रही है। बावजूद सिर्फ आश्वासन के ग्रामीणों को कुछ नहीं मिला। समय-समय पर रेलवे विभाग बिना फाटक वाले रेल पार पथ को बंद कर देता है।
नतीजतन ग्रामीण क्षेत्रों का आवागमन ठप हो जाता है। वाहनों का आवागमन तो महीनों बंद हो जाता है। इससे आक्रोशित होकर ग्रामीण आंदोलन करते रहे हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में स्थानीय लोग इसे मुद्दा बनाकर सभी पार्टी प्रत्याशी के समक्ष रखेंगे। पंजरी व लालगढ़ रेल पार पर फाटक लगाने की मांग को ले स्थानीय लोग वर्ष 1966 से आंदोलनरत हैं। इसे लेकर लोगों ने कई बार जोरदार आंदोलन भी किया।
साथ ही तत्कालीन पलामू सांसदों से मिलकर अपनी समस्या रखी। इसमें पूर्व की सांसद शशांक मंजरी, कांग्रेस सांसद रही कमला कुमारी, भाजपा के सभी तत्कालीन व निवर्तमान सांसद, पूर्व की राजद, जनता पार्टी समेत करीब सभी सांसदों के समक्ष फाटक लगाने की मांग करते रहे हैं। सभी ने आश्वासन दिया, पर फाटक नहीं लगा। ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय समस्याओं के प्रति सभी सांसदों की भूमिका एक जैसी रही।
मालूम हो कि 2007 में रेलवे फाटक लगाने के लिए जोरदार आंदोलन किया गया था। इसके बाद पलामू के तत्कालीन उपायुक्त विनय कुमार चौबे के निर्देश पर तत्कालीन सदर एसडीओ अनुग्रह नारायण पाठक ने स्थल पर जाकर आश्वासन दिया कि मांग पूरी होगी। ग्रामीण मान गए और रेल यातायात बहाल हुआ। एक टीम भी गठित कराई गई थी। साथ ही इसका प्रस्ताव राच्य सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।
तब से फाइल अटकी हुई है। इस मामले में विलंब होता देख 2011 में एक बार फिर स्थानीय लोगों ने आमरण अनशन शुरू किया। तब स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मांग को सही ठहराते हुए शीघ्र पूरा कराने का आश्वासन दिया और अनशन समाप्त करवाया। पुन: अप्रैल 2013 में स्थानीय लोगों ने फाटक की मांग को लेकर 10 घंटे तक रेल परिचालन ठप कर दिया था।
रेल अधिकारी व पुलिस विभाग के अधिकारियों की संयुक्त पहल व आश्वासन के बाद रेल परिचालन बहाल कराया गया था। इसके बावजूद समस्या यथावत बनी हुई है। इधर मानव रहित फाटक होने के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी है। इस दौरान कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं।