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कब तक प्यासी रहेगी पलामू प्रमंडल की धरती

लीड के साथ कई दशक से कोमा में हैं पलामू की तीन सिचाई परियोजनाएं किसानों को नहीं मि

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 06:46 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 06:46 PM (IST)
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कई दशक से कोमा में हैं पलामू की तीन सिचाई परियोजनाएं

किसानों को नहीं मिल रहा है योजनाओं का लाभ, सूखे हैं खेत संवाद सहयोगी, मेदिनीनगर (पलामू) : पलामू में भी तीन बड़ी सिचाई योजनाएं अधर में हैं। इसमें बटाने डैम सिचाई परियोजना,पांकी का अमानत बराज व विश्रामपुर में कौरव जलाशय योजना शामिल है। छतरपुर व हरिहरगंज प्रखंड की सीमा पर स्थित पलामू की महात्वाकांक्षी बटाने जलाशय परियोजना का वृहत डैम तीन दशक बाद भी प्रभावी नहीं हो सका है। इससे क्षेत्र की सैकड़ों एकड़ भूमि सिचित नहीं हो पा रही है। जानकारी के अनुसार पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से विस्थापितों ने इस डैम का फाटक उठा कर वेल्डिग कर दिया है। इस कारण बारिश का पानी हर साल बहकर बटाने नदी चला जाता है। सिचाई के अभाव में क्षेत्र की उपजाऊ भूमि बंजर हो गई है। पलामू जिला के विश्रामपुर-नावाबाजार प्रखंड क्षेत्र के हताई गांव में 34 वर्ष पूर्व शिलान्यास किया गया कौरव जलाशय योजना आज भी अधर में लटकी हुई है। शिलान्यास के बाद से निर्माण कार्य का बाट जोह रहे किसानों सरकार को कोसते रहे हैं। 22 मार्च 1987 को संयुक्त बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिदेश्वरी दुबे ने स्वंय हताई द्वारपार जंगल में पहुंचकर कौरव नदी पर बांध निर्माण का शिलान्यास किया था। बावजूद यह योजना आज तक धरातल पर नहीं उतरी। पलामू के पांकी स्थित अमानत बराज निर्माण कार्य शिलान्यास के 21 वर्ष बाद भी पूरा नहीं हो सका है। सूबे के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने तत्कालीन जल संसाधन मंत्री रामचंद्र केशरी व स्थानीय विधायक सह भू राजस्व मंत्री रहे स्व. मधु सिंह की उपस्थिति में 2001 ई. में बड़े ही जोश-खरोश के साथ पांकी अमानत बराज की आधारशीला रखी गई थी। इतने वर्षों में भी स्थानीय लोगों को निराशा ही हाथ लगी। 100 करोड़ की लागत से बना बराज में महज पुल व फाटक का निर्माण कराकर कार्य बंद कर दिया गया।


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