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पलामू में पूरी अकीदत से मनी बकरीद

हजारों मुसलमानों ने की ईदगाह व मस्जिदों में नमाज अदा कौम व मिल्लत की सलामती की मांगी दुआएं हजारों मुसलमानों ने की ईदगाह व मस्जिदों में नमाज अदा कौम व मिल्लत की सलामती की मांगी दुआएं

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 06:00 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 06:36 AM (IST)
पलामू में पूरी अकीदत से मनी बकरीद

जागरण संवाददाता, मेदिनीनगर : पलामू जिले में सोमवार को पूरी अकीदत व हर्षेाल्लास के साथ ईद-उल-अजहा बकरीद का त्योहार मनाया गया। जिले के हजारों मुसलमानों ने विभिन्न ईदगाहों व मस्जिदों में वक्त-ए- मुकर्ररा पर ईद-उल-अजहा की दो रिकअत वाजिब नमाज अदा की। नमाज के बाद कौम व मिल्लत की सलामती, आपसी एकता, सौहार्द, आपसी एकता, अमन-शांति, भाईचारगी, राष्ट्र की उन्नति, समाज की तरक्की व विश्वबंधुता की अल्लाह से दुआएं मांगीं गई। इसके बाद संबंधित मस्जिदों के इमामों ने खुतबा पढ़ा। इसमें अल्लाह व उसके रसूल की तारीफ की गई। बताया गया कि अल्लाह सबसे बड़ा व सर्वशक्तिमान है। इसके अलावे कोई इबादत के लायक नहीं। अल्लाह व उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलने की ताकीद की गई। खुतबा के बाद गिले-शिकवे भूलकर मुसलमानों ने एक-दूसरे को गले लगाया। मुसाहफा किया व बकरीद की मुकारबवादी पेश की। इससे पूर्व मुसलमानों ने सोमवार को अहले सुबह से ही नहाकर नए व साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इतर व सूर्मा लगाकर शहर की विभिन्न ईदगाह व मस्जिदों में पहुंचकर नमाज अदा की। सुबह 6.00 बजे से लेकर 8.30 बजे तक ईद-उल-जोहा की नमाज अदा करने का सिलसिला जारी रहा। शहर की जामा मस्जिद,चौक बाजार मस्जिद,नूरी मस्जिद,मदीना मस्जिद, मिल्लत मस्जिद,मस्जिद-ए-हेरा, अहले हदीस मस्जिद व मोहम्मदी मस्जिद समेत मदरसा अहसनउल उलूम में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की गई। बाक्स: इमामों ने फरमाया-

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सभी ईदगाह व मस्जिदों के संबंधित इमामों ने कहा कि ईद-उल-अजहा यानी बकरीद हमें अल्लाह की राह में त्याग करने का पैगाम देता है। अल्लाह की रजा के लिए हर चीज की कुर्बानी देने के लिए मुसलमानों को तैयार रहना चाहिए। इधर, बकरीद की नमाज के बाद लोगों ने अपनी आर्थिक हैसियत के मुताबिक अपने-अपने घरों में बकरा आदि की कुर्बानी की। इसके मांस को तीन हिस्सों में बांटकर तकसीम किया गया। इसमें एक हिस्सा गरीबों, यतीमों, मिस्किनों को दिया गया। एक हिस्सा रिश्तेदारों,मित्रों व पड़ोसियों को दिया गया। एक हिस्सा अपने खाने के लिए रखा। इस्लाम में आर्थिक रूप से संपन्न लोग ही जानवरों की कुर्बानी दे सकते हैं। जानवरों की कुर्बानी का यह सिलसिला बुधवार की शाम से पहले तक चलेगा।


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