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प्रदूषित हो रही पलामू की कोयल नदी

लोहरदगा में पलामू में कोयल नदी के प्रदूषित होने से नदी का अस्तित्व खतरे में हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 06:53 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 06:53 PM (IST)
प्रदूषित हो रही पलामू की कोयल नदी

मो. मुर्तजा , मेदिनीनगर पलामू : पलामू का लाइफलाइन कोयल नदी को माना जाता है। इसके बावजूद हाल के दो-तीन दशकों के अंतराल में तेजी से कोयल नदी संकीर्ण हुई है। कोयल का अतिक्रमण हो रहा है। लोग नदी में घर बसा रहे हैं। नदी के किनारों पर नगर निकाय की ओर से कचरा फेंककर नदी पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया गया है। कई भू-माफिया भी नदी के किनारे मलवा गिराकर नदी को अतिक्रमित किया है। कोयल नदी, शहर थाना रोड स्थित बाला तालाब व अन्य नदी-तालाबों में शहर के नाला का पानी गिराया जा रहा है। इससे नदी का पानी प्रदूषित हो रही है। यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। बावजूद कोई कहने-पूछने वाला नहीं है। वर्षों में सीवरेज ड्रेनेज सिस्टम को धरातल पर उतारने के लिए सरकार से राशि भी पहुंची। बावजूद नगर निकाय की अपेक्षित पहल नहीं होने के बावजूद योजना फाइलों में ही सिमटी रह गई। नतीजा वह राशि भी सरकार के पास वापस चली गई। चुनाव में भी नदी पर्यावरण मुद्दा तक नहीं बनता। कोई प्रत्याशी मामले को प्राथमिकता भी नहीं देता। कोयल का हाल है कि गर्मी के दस्तक देते ही पलामू की लाइफलाइन कोयल नदी सूख जाती है। मार्च माह में ही शहरवासियों के समक्ष पेयजल संकट की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। नतीजा कोयल पर निर्भर लोग नजदीकी हैंडपंप या अन्य माध्यमों से पानी भरने को लाचार हो जाते हैं। बुजुर्ग गणेश राम, कामेश्वर प्रसाद आदि बताते हैं कि 40 साल पहले पूरे वर्ष कोयल में पानी रहता था, लेकिन अब स्थिति विपरीत है। गर्मी आने के पहले ही नदी सूख जाती है। इसे चुनावी मुद्दा बनना चाहिए। नदी पर्यावरण पर प्रशासन और जनप्रतिनिधि को सक्रियता दिखानी होगी। इधर, साल दर साल पलामू का वर्षापात तेजी से कम हो रहा है। नतीजा पलामू में पेयजल संकट भी उत्पन्न हो गया है। वर्षों पूर्व पलामू में एक वर्ष में 1300 से 1400 मिलीमीटर बारिश होती थी। अब वर्षा घटकर 700 से 800 मिली मीटर रह गई है। यानी वर्षापात आधा हो गया है। तालाब अतिक्रमित होकर सिमटते जा रहे हैं। बारिश कम होने व नदी-तालाबों की बदहाली के कारण शहर का भू-जल स्तर नीचे चला गया है। भू-जलस्तर में कमी आने से लोगों के समक्ष पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है। शहर में जल संरक्षण के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है।

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बाक्स : भर रहे हैं शहर के तालाब

मेदिनीनगर : शहर के तीन प्रमुख तालाब हैं। इसमें दो नावाटोली और एक बस स्टैंड के पीछे है। स्थिति है कि तालाब आधा से अधिक भर चुका है। तालाब में मिलने वाले नाला को भरकर 30 वर्षों के अंदर मकान बना दिया गया। अब इस तालाब में पानी आने का स्त्रोत बंद हो गया। इसी प्रकार कचरवा डैम की भी पुनरुत्थान की जरूरत है। डैम में गेट लग जाने के बाद शहर को कचरवा डैम के माध्यम से जलस्तर मेंटेन किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों की भी हाल वही है। बाक्स : कोयल नदी का सर्वे कराएंगे। देखा जाएगा कि कितने जगह पर नाला का पानी नदी में गिर रहा है। उसके बाद सीवरेज सिस्टम बनाएंगे। नाला का पानी छलने के बाद ही नदी में गिरेगा। योजना बड़ी है। इस वर्ष के बजट पर योजना को लाया जाएगा।

दिनेश प्रसाद, नगर आयुक्त, नगर निगम, मेदिनीनगर।


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