पलामू में जेएसएमडीसी की कई खदान बंद
पलामू जिले में पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने के कारण झारखंड खनिज विकास निगम से संचालित कई खदानें सात वर्ष से अधिक समय से बंद है। इसका असर इन खदानों में कार्यरत सैकड़ों मजूदरों पर पड़ा है। साथ ही यहां से निकलने वाले कच्चे माल पर आधारित उद्योग भी
मेदिनीनगर: पलामू जिले में पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने के कारण झारखंड खनिज विकास निगम से संचालित कई खदानें सात वर्षो से अधिक समय से बंद है। इसका असर इन खदानों में कार्यरत सैकड़ों मजदूरों ं पर पड़ा है। साथ ही यहां से निकलने वाले कच्चे माल पर आधारित उद्योग भी बंद हो गए है। इसमें चैनपुर प्रखंड का सेमरा चूना पत्थर परियोजना सबसे महत्वपूर्ण है। कुल 2578 एकड़ में फैले इस परियोजना में वर्ष 2012 से पहले तक उच्च कोटि का डोलोमाइट व चूना पत्थर का उत्पादन होता था। सर्वोच्च न्यायालय ने खादान संचालन के लिए प्रदूषण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना आवश्यक कर दिया। इसके बाद इस खदान में काम बंद कर दिया गया। विभागीय सूत्रों के अनुसार परियोजना का अधिकांश क्षेत्र वन सीमा में है। इस कारण प्रबंधन ने 1043 एकड़ भूमि को सरेंडर करने का प्रस्ताव खनन विभाग को भेज दिया है। इस पर अभी निर्णय होना बाकी है। इस परियोजना के बंद हो जाने से जिला मुख्यालय व निकटवर्ती क्षेत्रों में संचालित होने वाले दर्जनाधिक प्लांटों पर सीधा असर पड़ा है। इन कारखानों को कच्चा माल नहीं मिलने के कारण बंद कर दिया गया। इससे न सिर्फ फैक्ट्री मालिक परेशान हैं, बल्कि सैकड़ों मजदूरों का रोजगार छीन गया है। सिर्फ औद्योगिक प्रांगण में निगम का क्रसिग प्लांट सहित दर्जानाधिक कारखाने बंद हो गए। बता दें कि इनमें से अधिकांश कारखाने बैंक से ऋण लेकर स्थापित किए गए थे। सेमरा परियोजना के तहत सेमरा, सलतुआ, खाम्ही व गंगटी खदानों में डोलोमाइट का उत्पादन होता था। इसके अलावा विश्रामपुर का महुगांई, ताली, हताई व तुलबुला ग्रेफाइट परियोजना के बंद हो जाने से सैकड़ों मजदूरों से रोजगार छीन गया। साथ ही इस पर आधारित ग्रेफाइट बेनिफिएशन के कारखानों के बुरे दिन शुरू हो गए।
पलामू जिले के लिए यह एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। फिर भी किसी राजनीतिक दल इस मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं है। वर्तमान सांसद का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। वह एक बार फिर से भाजपा के टिकट पर चुनावी महासमर में कूद पड़े हैं। लेकिन उन्होंने भी बंद खदानों को खोल वाने को लेकर पहल नहीं की। पलामू जिले में ऐसे ही गिने-चुने खदान हैं। उनमें भी धीरे-धीरे सभी बंद होते चले जा रहे हैं। खदान बंद होने से हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। रोजगार की तलाश में पलायन जिले के लिए बड़ा मुद्दा है। मनरेगा भी लोगों को रोजगार देने में विफल साबित हो रहा है। पलायन बड़ी समस्या है। फिर भी यह चुनावी मुद्दा नहीं है। बाक्स : पर्यावरणीय स्वीकृति सहित अन्य संबंधित मामले भारत सरकार के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्रेषित किया गया है। अगले छह माह के अंदर में परियोजना में काम शुरू कर दिया जाएगा।
अशोक कुमार,
परियोजना पदाधिकारी,
झारखंड राज्य खनिज विकास निगम
सेमरा परियोजना