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भावी पीढ़ी के लिए अभी से ही बचाएं पानी

गहराते जल संकट से सतर्क हो जाएं पलामू के लोग जल संवाद में मौजूद लोगों ने बेबाकी से रखी राय फोटो 12 डालपी 30 कैप्शन जागरण के जल संवाद में मौजूद लोग। संवाद सहयोगी मेदिनीनगर साल दर साल पलामू का जल स्तर नीचे जाने के कारण यहां का हाल बदहाल होता जा रहा है। गहराते जल संकट से लोगों को सतर्क हो जाना चाहिए। भविष्य का ख्याल रखते हुए अभी से भी पानी बचाने की दिशा में पहल होनी चाहिए। जल संचयन को लेकर स्थानीय दैनिक जागरण कार्यालय में शुक्रवार को कितना-कितना पानी के तहत जल संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें शामिल लोगों ने अपने स्तर पर जल संरक्षण के संभव प्रयासों के तहत कार्य करने का संकल्प लिया। त 1

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 06:29 PM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 06:29 PM (IST)
भावी पीढ़ी के लिए अभी से ही बचाएं पानी
भावी पीढ़ी के लिए अभी से ही बचाएं पानी

मेदिनीनगर : साल दर साल पलामू का जल स्तर नीचे जाने के कारण यहां का हाल बदहाल होता जा रहा है। गहराते जल संकट से लोगों को सतर्क हो जाना चाहिए। भविष्य का ख्याल रखते हुए अभी से भी पानी बचाने की दिशा में पहल होनी चाहिए। जल संचयन को लेकर स्थानीय दैनिक जागरण कार्यालय में शुक्रवार को कितना-कितना पानी के तहत जल संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें शामिल लोगों ने अपने स्तर पर जल संरक्षण के संभव प्रयासों के तहत कार्य करने का संकल्प लिया। परिचर्चा के दौरान दैनिक जागरण के प्रतिनिधियों ने अभियान के उद्देश्यों पर चर्चा की। कहा कि जल संरक्षण किसी व्यक्ति, संस्था या विभाग के बस की बात नहीं है और ना ही यह केवल उनकी जिम्मेवारी है। समाज के सभी व्यक्ति को इस दिशा में अपनी जिम्मेवारी तय करनी होगी। जल संचयन के लिए घर का पानी घर में और खेत का पानी खेत में वाला मेथड अपनाने की जरूरत है। इसी तरह विभिन्न स्तर पर चल रहे पौधा रोपण अभियान के तर्ज पेड़ बचाओ अभियान चलाना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के कारण तेजी से जल स्तर नीचे जा रहा है।

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बाक्स..फोटो : 12 डालपी 31

कैप्शन : विरेंद्र पासवान

जल ही जीवन है। पानी की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। मनुष्य के अलावा पशु-पक्षी को भी जीवन जीने के लिए हवा और पानी की आवश्यकता होती है। पानी के बिना कोई जीवित नहीं रह सकता है। जल संचयन के लिए समाज में जागरूकता फैलाना होगा। घर-इमारतों में रेन वाटर हार्वेस्टिग की व्यवस्था, नए पौधे लगाने, जंगल के दोहन पर रोक लगाने जरूरत है। हरेक व्यक्ति को अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी। जल, जंगल, जमीन व पहाड़ों के दुरूपयोग पर रोक लगाने की दिशा में सक्रियता दिखानी होगी। डीप बोरिग के खिलाफ प्रशासन को सख्ती से निपटना होगा।

विरेंद्र पासवान, सामाजिक कार्यकर्ता सह एसटीटी, एनएचएम, पलामू। बाक्स..फोटो : 12 डालपी 32

कैप्शन : राजीव रंजन वर्मा

वर्तमान परि²श्य में जल का उपयोग बहुत ही बढ़ गया है। मनुष्य के लिए जल ही जीवन है। आज के समय मे जल संचय की आवश्यकता महसूस हो रही है। क्योंकि आए दिन देखा जा रहा है कि धरती का जलस्तर काफी नीचे चला गया है और बारिश बहुत कम हो रही है। इसके चलते बहुत से नदियां और तालाब विलुप्त हो गए हैं। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में जल के लिए एक और विश्व युद्ध हो सकता है। इसलिए समय रहते हम सभी को जल संचय करने की आवश्यकता है और हम बहुत तरीकों से जल का संचय अपने आसपास करके पर्यावरण में हो रहे जल संकट से बच सकते हैं। मनुष्य जीवन को भी बचा सकते हैं।

राजीव रंजन वर्मा, समन्वयक, एनएचएम, पलामू। बाक्स..फोटो : 12 डालपी 33

कैप्शन : सन्नी शुक्ला

जल संचयन एक बेहद ही गंभीर मुद्दा है। गर्मी में लोग इस विषय पर गंभीरता से सोचते हैं, परन्तु हम सब बरसात का मौसम आते ही लापरवाह हो जाते हैं। यह बात सामने आती है कि 2001 में प्रति व्यक्ति 1800 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध था जो 2050 ई में घटकर 1000 क्यूबिक मीटर हो जाएगा। भारत इस समय कृषि उपयोग के लिए और पेयजल के गंभीर संकट से गुजर रहा है। यह संकट वैश्विक स्तर पर साफ दिख रहा है। लोगों को रेन वाटर हार्वेस्टिग व नालियों से बर्बाद हो रहे जल के लिए सोख्ता निर्माण के लिए गंभीर होना होगा। सरकार ने वर्षा जल संचयन के लिए डोभा निर्माण योजना लाया था, जो बेहद ही सराहनीय था। बावजूद लूट और ठेकेदारी प्रथा और लोगों की नासमझी ने इस जीवनदायनी योजना को बर्बाद कर दिया।

सन्नी शुक्ला, युवा समाजसेवी, पलामू। बाक्स..फोटो : 12 डालपी 34

कैप्शन : अमित पांडेय

पानी मनुष्य के अलावा पशु-पक्षी आदि की जरूरत है। इसके बाद जीवन जीना असंभव है। बावजूद वास्तव में आज जल की कमी से पूरा विश्व जूझ रहा है। मेदनीनगर जैसे छोटे शहर में पानी खरीद कर पीने के लिए लोग मजबूर हैं। आखिर प्रकृति का दिया हुआ उपहार को अनदेखा करना हम सब पर भारी पड़ रहा है। सभी नागरिकों की यह जिम्मेदारी है की जल के बर्बादी को रोका जाए। वर्षा-जल व सभी जल स्त्रोतों को प्रदूषित होने व खत्म होने से बचाएं।जल के बिना जिदगी कैसी होगी यह सिर्फ महसूस करने से रूह कांप जाती है। समय है हम बर्बादी को रोकें। खुद से आगे बढ़कर जल संचयन का काम करें तो ही आने वाली भविष्य व संपूर्ण मानव जाती सुरक्षित व खुशहाल रह पाएगी।

अमित पांडेय, मेदिनीनगर।


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