गांव में ही सब्जी उगाएंगे, नहीं जाएंगे परदेस
पाकुड़ कोरोना काल ने शहर से लेकर गांव तक के लोगों की सोच में बदलाव ला दिया है। पहले
पाकुड़: कोरोना काल ने शहर से लेकर गांव तक के लोगों की सोच में बदलाव ला दिया है। पहले रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों में जाना कुछ लोगों की मजबूरी होती थी तो कुछ युवा वर्ग के लोग अपने सगे संबंधियों की देखा देखी काम की तलाश में परदेस चले जाते थे। अब लॉकडाउन के दौरान परदेस में उत्पन्न हुई समस्याओं ने लोगों की सोच में काफी बदलाव ला दिया है। लोग अपने गांवों व शहर में ही रोजगार व मजदूरी कर परिवार के साथ रहना चाह रहे हैं। कई लोगों ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है। इस स्थिति से गांव में एक बार फिर चहल पहल लौट आई है।
जिला मुख्यालय से सटा हुआ है सदर प्रखंड का हीरानंदनपुर गांव। यह हीरानंदनपुर पंचायत का घनी आबादी वाला गांव है। गांव की आबादी दो हजार के करीब है। अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार सब्जी की खेती और बीड़ी बनाना है। 80 फीसद महिलाएं बीड़ी बनाने का काम करती है। यह क्षेत्र शहर के सब्जी की अधिकतम जरूरतों को पूरा करता है।
कानपुर क्यों यहां भी कमा लेंगे सात हजार :
कोरोना काल में गांव के कई युवा परदेस से अपने घर लौट आए हैं। लॉकडाउन के कारण उनका काम छूट गया है। बावजूद इन युवाओं के चेहरे पर कोई सिकन नहीं है।
14 दिन पहले कानपुर से लौटे शुभंकर साहा करते हैं वह निर्माण के क्षेत्र में मजदूरी करते थे। मासिक आय करीब सात हजार हो जाती थी। शुभंकर के पिता नहीं हैं। अभी वे अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ गांव में ही रह रहा है। उसका कहना हैं गांव घर में काम मिलेगा तो अब बाहर नहीं जाएंगे। दूसरे लोगों की तरह सब्जी की खेती करेंगे। शुभंकर की मां भी खुश है कि अब उसका बेटा उसकी नजरों के सामने रहेगा।
शुभंकर की तरह गांव के युवा डीजेन व लोटन सरदार भी कानपूर गए थे। वे सभी लोग वहां मजदूरी कर महीने का करीब सात हजार रुपये कमा लेते थे। ये लोग कहते थे इतना पैसा तो अपने गांव घर में भी कमा लेंगे। कुछ कम भी होगा तो बाहर का खर्चा बचेगा।
सब्जी से चल जाता है घर का खर्च :
गांव के बुजुर्ग सचित्र कुनाई किराये की जमीन पर सब्जी की खेती करते हैं। वे अपने खेत में लगी झिगली की देखभाल कर रहे हैं। वे कहते हैं सब्जी की खेती कर परिवार चलाने योग्य आय कर लेते हैं। एक बेटा है। इसी काम में हाथ बांटता है। परदेस जाने से अच्छा है दो पैसा कम कमाई हो लेकिन अपने परिवार के साथ रहें।
गांव के ही लक्ष्मीकांत मंडल व शंकर मंडल अपने खेत में सब्जी के पौधे की देखभाल कर रहे हैं। दोनों भाई हैं मास्क लगाए चिलचिलाती धूप में पसीना बहा रहे हैं। कहते हैं सरकार की ओर से थोड़ी सिचाई की व्यवस्था हो जाए तो संकट ही दूर हो जाएगा।
गांव में लोगों को मिलेगा काम
इधर हीरानंदनपुर पंचायत की मुखिया सुमि सोरेन लोगों को भरोसा दिला रही है कि उनके पंचायत में परदेस से जितने भी लोग आए हैं सबको गांव में ही मनरेगा व अन्य विकास योजनाओं में काम दिलाया जाएगा। गांव में काम की कमी नहीं होने दी जाएगी।