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सत्य ही भगवान का असली रूप

हिरणपुर(पाकुड़) प्रखंड के डांगापाड़ा में शुक्रवार की शाम सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा क

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 04:57 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 04:57 PM (IST)
सत्य ही भगवान का असली रूप
सत्य ही भगवान का असली रूप

हिरणपुर(पाकुड़): प्रखंड के डांगापाड़ा में शुक्रवार की शाम सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा की शुरुआत हुई। भारी बारिश के बावजूद कथा के दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। वृंदावन से पधारे कथावाचक दुर्गेश नंदन महाराज ने कहा कि सत्संग का मूल अर्थ सत्य है। जहां सत्य है, वहीं भगवान हैं। सत्यचित्त आनंद का कभी विनाश नहीं होता। इससे काम, क्रोध, मोह व माया से मुक्ति मिलती है। तीनों काल में सत्य ही सर्वोपरि रहा है। सत्संग रूपी दीया जलाने से बुरे आदतों से छुटकारा मिलेगी। कहा कि भागवत में 18000 श्लोक व 338 अध्याय है। इसके श्रवण से ईश्वर की प्राप्ति होती है। उन्होंने आगे कहा कि संसार में कोई भी प्राणी सुखी नहीं है। कोई तन से तो कोई मन से दुखी है। मानो दुनिया सुख की खोज में लीन है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा कि धन, वैभव कमाना ही सुख नहीं है। सुख पाने के लिए भगवान की शरण मे आना पड़ता है। परिवार से प्रेम करो , पर ईश्वर को मत भूलो। वही मुक्ति की अनुभूति प्रदान करती है। सच्चा सुख के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। वह तो पवित्र मन से ईश्वर की आराधना करने से ही प्राप्त हो जाती है। मीठा पदार्थ का स्वाद जीभ तक ही सीमित रहता है। पर भगवान प्रति आस्था व प्रेम आपके जीवन को सुखमय बना देती है, वही मुक्ति की द्वार खुलती है। इसलिए भागवत कथा से लोगों को काफी कुछ प्रेरणा मिलती है। इसका श्रवण कर जीवन में अंगीकार करना आवश्यक है। तब ही जीवन सार्थक होगा। कथा के दौरान भक्तिमय भजन की भी प्रस्तुति की गई। जिससे श्रोता भावविभोर हो उठे। कथा के दौरान यजमान मोहनलाल भगत , राम प्यारी देवी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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