संशोघित फोटो..पर्यटन स्थल की अपार संभावनाएं
पाकुड़ : जिले में पर्यटन स्थल की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन प्रशासन इस पर ठोस पहल नहीं कर
पाकुड़ : जिले में पर्यटन स्थल की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन
प्रशासन इस पर ठोस पहल नहीं कर रही है। जिले के लिट्टीपाड़ा, महेशपुर,
अमड़ापाड़ा, पाकुड़िया प्रखंड में ऐसे कई धार्मिक व सार्वजनिक स्थल है जिसे पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया जा सकता है। प्रशासन की अनदेखी के कारण कई महत्वपूर्ण स्थलों का अस्तित्व खतरे में है। समाजिक व राजनीतिक स्तर से भी इन महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। प्रशासन अभी भी जाग जाए तो महत्वपूर्ण
स्थल बच सकते हैं।लिट्टीपाड़ा प्रखंड के करमाटांड पंचायत अंतर्गत
छोटा सूरजबेड़ा गांव के नजदीक है कंचनगढ़ गुफा। इस गुफा में भगवान शिव विराजते हैं। चारों ओर जंगलों से घिरा कंचनगढ़ गुफा में प्रत्येक वर्ष
शिवरात्रि में धूमधाम से पूजा होती है। शिवरात्रि में दूर-दूर से श्रद्धालु
आते हैं। उस समय आदिवासी-पहाड़िया समुदाय की ओर से भव्य मेला का भी आयोजन
किया जाता है। वर्तमान डीसी डीके झा के प्रयास से श्रद्धालुओं के बैठने के लिए चबुतरा का निर्माण कराया गया है। लेकिन पर्यटन विभाग की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। कंचनगढ़ गुफा को पर्यटन स्थल रुप में विकसित किया जा सकता है। महेशपुर प्रखंड अंतर्गत भेंटाटोला पंचायत के गमछा नाला गांव के बगल स्थित पीर पहाड़ मजार आस्था का केंद्र बना हुआ है। इसे भी
पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया जा सकता है। इसी प्रकार हिरणपुर प्रखंड के लंगटा मशान, लिट्टीपाड़ा प्रखंड के छोटा चटकम स्थित गरम जलकुंड, पाकुड़िया
प्रखंड के सीदपुर मौजा स्थित गरम जलकुंड को भी पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया जा सकता है।
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प्रकृति विहार भी नहीं हो पाया विकसित जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित अमड़ापाड़ा प्रखंड मुख्यालय में स्थित है प्रकृति विहार पार्क। यह पार्क बांसलोई नदी के किनारे अवस्थित है।
तत्कालीन उपायुक्त वैदेही शरण मिश्र ने प्रकृति विहार परियोजना की
परिकल्पना तैयारी की थी। उनके कार्यकाल में ही पार्क का निर्माण शुरु हो गया था। नदी किनारे स्थित रहने के कारण पार्क का ²श्य काफी रमणीय लगता था। नववर्ष में झारखंड के अलावा, बिहार, बंगाल आदि स्थानों से शैलानी पहुंचते
थे। उस समय पार्क का नजारा ही कुछ और होता था। परंतु देखरेख के अभाव में प्रकृति विहार पार्क अपनी पहचान खोने के कगार पर पहुंच चुकी है। देखभाल के अभाव में पार्क में झाड़ी उग आया है। पार्क में लगे झूला, लाइट आदि सामान
खराब हो गई है। शाम ढलते ही पार्क में अंधेरा छा जाता है। एक समय था जब प्रखंड मुख्यालय के लोग शुद्ध हवा पाने के लिए शाम में पार्क में विचरण किया करते थे। बैठकी होती थी। परंतु अब वैसी बात नहीं रह गई है। इसे पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाने के लिए न तो सरकारी पहल हुई और न ही राजनीतिक। लिहाजा प्रकृति विहार पार्क अपनी अस्मिता खोने लगी है। --------------------------------------------------------------------------
महत्वपूर्ण स्थलों पर कैसे पहुंचे 1. कंचनगढ़ गुफा- लिट्टीपाड़ा प्रखंड मुख्यालय से सात किलोमीटर दूरी पर स्थित
है गुफा। पीडब्लूडी विभाग की ओर से गुफा तक पहुंचने के लिए सड़क का
निर्माण कराया गया है। वाहन से भी गुफा के नजदीक तक पहुंचा जा सकता है।
2.पीर पहाड़ - महेशपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है
पीर पहाड़। पीर पहाड़ पर मजार बना हुआ है। प्रखंड मुख्यालय से वाहन द्वारा
भेंटा टोला पंचायत होकर पीर पहाड़ पहुंचा जा सकता है। 3.लंगटा मशान - हिरणपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है
लंगटा मशान। यह धार्मिक स्थल हिरणपुर-लिट्टीपाड़ा पथ के पश्चिम ओर रानीपुर
मौजा में स्थित है। यहां प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को पूजा होती है। पूजा
करने के लिए दूसरे राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। 4.पाकुड़िया का गरम जलकुंड - पाकुड़िया प्रखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर
सीदपुर मौजा में यह जलकुंड स्थित है। यहां किसी भी वाहन से पहुंचा जा सकता
है। मकर संक्रांति में दूसरे-दूसरे राज्य से श्रद्धालु पहुंचते हैं तथा गरम
जलकुंड में स्नान करते हैं। 5.लिट्टीपाड़ा का गरम जलकुंड - लिट्टीपाड़ा प्रखंड मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित छोटा
चटकम गांव के करीब गरम जलकुंड स्थित है। लिट्टीपाड़ा-गोड्डा के रास्ते यहां
पहुंचा जा सकता है। मुख्य पथ के किनारे यह कुंड स्थित है। -------------------------------------------------------------- वर्जन... जिले के महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने के लिए सरकार
को कई बार पत्राचार किया गया। लेकिन सरकार व स्थानीय प्रशासन इस पहल नहीं
की। सरकार का रवैया ठीक नहीं है। विधायक निधि से महत्वपूर्ण स्थलों को
विकसित किया जाएगा। प्रो. स्टीफन मरांडी, विधायक
महेशपुर विधानसभा