हमारी मनमानी से धरती में छिप गया पानी
संवाद सूत्रहिरणपुर(पाकुड़) जल है तो कल है। यही जीवन भी है। मगर हम कल की अनदेखी कर रहे
संवाद सूत्र,हिरणपुर(पाकुड़): जल है तो कल है। यही जीवन भी है। मगर हम कल की अनदेखी कर रहे हैं। भूगर्भ जल के बेतरतीब दोहन से जल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यदि भूगर्भ जल का इसी तरह दोहन किया जाता रहा तो हमें पताल में भी पानी के दर्शन नहीं होंगे। इससे बचने के लिए खदानों व तालाबों के संग्रहित वर्षा जल का सदुपयोग करना होगा। तभी हम भूगर्भ जल के स्तर को व्यवस्थित कर सकेंगे। इसके लिए प्रशासन के साथ साथ आमलोगों को भी जागरूक होना होगा।
हमें पानी की वैकल्पिक व्यस्था पर भी ध्यान देना होगा। वर्षा जल संग्रह के लिए सरकारी योजना से बनवाए गए तालाब व डोभा खुद पानी के लिए तरस रहे हैं। मगर पाकुड़, हिरणपुर, पाकुड़िया और महेशपुर में ऐसे दर्जनों पत्थर खदान हैं जिसमें भारी मात्रा में वर्षा का जल संग्रहित है। इसका सदुपयोग कर हम पानी की कमी को पूरा कर सकते हैं। हालांकि सरकार की ओर से कुछ खदानों में लिफ्ट एरिगेशन की व्यवस्था की जा रही है। बावजूद जिले में ऐसे कई बंद हो चुकी पत्थर खदान हैं जिसमें बड़ी मात्रा में वर्षा जल जमा है।
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110 फीट नीचे चला गया हिरणपुर का भूजल स्तर
पेयजल विभाग के अनुसार प्रखंड के बाबूपुर , बड़तल्ला, मोहनपुर, हाथकाठी पंचायत का भूजल स्तर 80 फीट, बागशिशा, बरमसिया व तोड़ाई 70 फीट , घाघरजानि व धोवाडांगा 90 फीट , मंझलाडीह 85 फीट तथा मुर्गाडांगा, डांगापाड़ा और केंदुआ पंचायत में 110 फीट पर पहुंच गया है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष भूजल का यह स्तर 5 से 10 फीट तक नीचे आ गया है। जिसके कारण गांवों में लगा सरकारी चापाकल अब दम तोड़ने लगा है। आने वाले दिनों में इसके और अधिक नीचे जाने की संभावना है।
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जलस्तर घटने के कारण पानी की समस्या खड़ी हुई है। इस समस्या के स्थायी निदान के लिए वर्षा जल का संग्रह अति आवश्यक है। जल संकट दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।
सुनील कुमार
कार्यपालक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग
पाकुड़।