चौका और छक्का! क्रिकेट के जरिये सिखा रहे गणित
शिक्षक शशि कपूर साहा किताब के बिना ही बच्चों को चुटकियों में गणित सिखाते हैं। इसके लिए उन्होंने क्रिकेट का सहारा लिया।
पाकुड़, रोहित कुमार। विषय की सरलता व जटिलता को लेकर एक कविता प्रचलित थी- पहली घंटी में है हिंदी, माथे पर चढ़ जाती बिंदी, दूसरी घंटी में है मैथ, मास्टर जी दिखलाते बेंत..। पर उत्क्रमित उच्च विद्यालय करियोडीह, झारखंड के बच्चों को गणित की पाली में मास्टरजी बेंत नहीं दिखाते।
विद्यालय के शिक्षक शशि कपूर साहा किताब के बिना ही बच्चों को चुटकियों में गणित सिखाते हैं। इसके लिए उन्होंने क्रिकेट का सहारा लिया। युक्ति काम की निकली और इससे बच्चों में गणित के प्रति ललक बढ़ गई। वहीं, शशि के इस नवाचार को पुरस्कार मिला है।
शशि ने बताया कि गणित की जटिलता बच्चों को नीरस न करे, इसलिए यह युक्ति ढूंढ निकाली। बच्चों को क्रिकेट बहुत भाता है, तो सोचा क्यों न गणित को क्रिकेट से जोड़ कर सिखाया जाए। स्कूल के ब्लैक बोर्ड पर एक से 20 तक क्रम संख्या लिखकर उसे क्रिकेट से जोड़ दिया। मसलन, 1 रन, 2 रन, 4 नंबर आने पर चौका, 6 नंबर आने पर छक्का, 10 अंक आने पर ऑलआउट..। दो बच्चों को बैटिंग-बॉलिंग यानी सवाल-जवाब के लिए बुलाते हैं। बच्चों को कोई किताब देकर उनसे कहा जाता है कि वे बायां हिस्सा लेंगे या दाहिना। फिर दोनों के साथ खेल के रूप में गणित की पढ़ाई शुरू की जाती है।
शिक्षक शशि कपूर को सम्मानित करतीं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू।
खेल में किताब के किसी पन्ने को उलटकर बच्चों से पूछा जाता है कि किताब में उसने जो पन्ना खोला है, उसकी पृष्ठ संख्या क्या है। यदि वह 23 बताता है तो दूसरे बच्चे से इसका जोड़ (2+3) पूछा जाता है। 5 जवाब देने पर, कहा जाता है कि बोर्ड पर 5 अंक के ठीक बाद क्या लिखा हुआ है। 6 यानी छक्का बताने पर उस बच्चे को छह अंक दिए जाते हैं। आउट (गलत जवाब) होने पर दूसरे बच्चे को खेल में शामिल किया जाता है। इसी तरह तहत बच्चों को जोड़, घटाना, गुणा व भाग का अभ्यास कराया जाता है।
शशि की वर्ष 2009 में सहायक शिक्षक के रूप में बहाली हुई थी। ये मूल रूप से विज्ञान के शिक्षक हैं। बावजूद इन्होंने गणित पर अपना नवाचार तैयार किया है। तीन साल में इसका बेहतर परिणाम भी सामने आया है। जो बच्चे गणित के डर से कक्षा से गायब रहते थे, वे अब कक्षा में उपस्थित रहकर गणित की पढ़ाई करते हैं। शशि ने बताया कि इस नवाचार का चयन अरविंदो सोसाइटी ने किया, जिसे देशभर से 12 हजार शिक्षकों ने नवाचार भेजे थे। सूबे की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने भी राजधानी रांची में 27 अगस्त को इस नवाचार के लिए सम्मानित किया।