Move to Jagran APP

मानव तस्करों पर लगाम लगाने में सिस्टम फेल

पाकुड़ अच्छी नौकरी का सब्जबाग दिखाकर दूसरे प्रदेश में नाबालिगों को ले जाने का सिलसिला थम

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 09:59 AM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 06:34 AM (IST)
मानव तस्करों पर लगाम लगाने में सिस्टम फेल
मानव तस्करों पर लगाम लगाने में सिस्टम फेल

पाकुड़ : अच्छी नौकरी का सब्जबाग दिखाकर दूसरे प्रदेश में नाबालिगों को ले जाने का सिलसिला थम नहीं रहा है। मानव तस्करी के इस धंधे में कई किगपिन सक्रिय हैं। ये लोग भोले-भाले आदिवासी, पहाड़ियाओं को बहला-फुसलाकर उनके नाबालिगों को महानगरों में ले जाकर कई तरह के अनैतिक कार्य करवाते हैं। मानव तस्करी के रोकथाम के लिए जिले में संस्थाएं कार्यरत हैं। संस्था के सदस्यों द्वारा समय-समय पर कार्रवाई करते हुए बाहर भेजे जा रहे बच्चे भी बरामद किए जा रहे हैं। लेकिन कार्रवाई के दौरान दलाल का फरार हो जाना कई संदेश को जन्म देता है। हाल के दिनों में चाइल्ड लाइन नामक संस्था रेल पुलिस के सहयोग से नाबालिगों को बाहर ले जाने से रोकने में कामयाब हुई है। परंतु इस पर लगाम लगाने में सफलता नहीं मिली है।

loksabha election banner

जन लोक कल्याण परिषद द्वारा संचालित चाइल्ड लाइन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले तीन माह में करीब 90 नाबालिगों को पाकुड़ रेलवे स्टेशन के अलावा विभिन्न स्थानों से सकुशल बरामद करने में कामयाब हुई है। इसमें रेल पुलिस का भी सहयोग रहा है। जून माह में विभिन्न स्थानों से 45, जुलाई माह में 15, अगस्त में 12 व सितंबर माह में अब तक 15 नाबालिगों का रेस्क्यू किया गया है। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के माध्यम से काउंसिलिग कराकर नाबालिगों को परिजनों को सौंप दिया गया है। काउंसलिग के दौरान अभिभावकों को चेतावनी भी दी गई कि बच्चों को स्कूल भेजें। चंद पैसे के लालच में नाबालिगों को दलाल के हाथों न बेंचे। हालांकि इसके बाद पहाड़ी इलाके में दलाल सक्रिय हें।

-------

बंगाल के दलाल हैं सक्रिय

नाबालिगों को बहला-फुसलाकर महानगरों में ले जाने में बंगाल के दलाल सक्रिय हैं। मालदा, कालियाचक, फरक्का, मुरारई के दलाल अभिभावकों को हजार, दो हजार रुपये देकर नाबालिगों को अपने साथ दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, वर्धमान आदि महानगरों में ले जाते हैं। यहां नाबालिगों से कूड़ा चुनने के अलावा अन्य कई प्रकार के अनैतिक कार्य करवाते हैं। होटलों, ढाबों, फैक्ट्री आदि में भी नाबालिगों से काम लिया जाता है। चाइल्ड लाइन की टीम ने दिल्ली, कोलकाता, वर्धमान आदि स्थानों से भी नाबालिगों का रेस्क्यू किया है। नाबालिग प्रदेश से लौटने के बाद यह शिकायत भी करते हैं कि महानगरों में उनसे अनैतिक कार्य करवाए जाते थे।

स्टेशन के आसपास मंडराते हैं दलाल

नाबालिगों को अपने साथ ले जाने वाले दलाल रेलवे स्टेशन, बस अड्डा के आसपास मंडराते रहते हैं। उनकी नजर पुलिस प्रशासन, संस्था के सदस्यों पर रहती है। नाबालिगों को ट्रेन, बस में चढ़ाने के बाद वह भी दूसरे डिब्बे में सवार हो जाते हैं। रेल पुलिस, स्थानीय थाना पुलिस व किसी संस्था द्वारा कार्रवाई के पूर्व दलाल रफूचक्कर हो जाते हैं। बरामद नाबालिग से पूछने पर वह दलाल का नाम, पता नहीं बता पाते हैं। चूंकि दलाल नाबालिगों के अभिभावकों से पैसे की लेनदेन की बात करते हैं, इसलिए बच्चों को दलाल के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं होती है।

----------

वर्जन.

छापेमारी के पूर्व मानव तस्करों को भनक लग जाती है। जिस कारण वह भागने में सफल हो जाते हैं। पुलिस का काम है मानव तस्करों को पकड़ना।

विनोद प्रमाणिक, निदेशक

चाइल्ड लाइन, पाकुड़


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.